झारखंड HC ने पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल, कहा- नहीं सुधरी कार्यप्रणाली Ranchi News
Jharkhand High Court ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा है कि इस संबंध में कई बार आदेश दिए गए लेकिन पुलिस की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ है।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 05:53 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 07:50 PM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत ने 12 साल बाद भी नामजद छह आरोपितों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं करने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूर्व में अदालत कई बार फरार अपराधियों को गिरफ्तार करने व उनकी स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दे चुकी है, लेकिन पुलिस की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
सुनवाई के दौरान हर बार पुलिस की कार्यशैली का नया मामला अदालत के सामने आ जाता है। अदालत ने इस मामले में धनबाद एसपी से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले में अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी। हाई कोर्ट में मंगलवार को अवध विश्वकर्मा व बबुआ पांडेय की अपील याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान अदालत को बताया गया कि इस मामले में नामजद छह आरोपित को पुलिस अब तक पकड़ नहीं पाई है।
इसके बाद अदालत ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया और कहा कि ऐसे मामले में नामजद आरोपितों की जांच अधूरी नहीं छोड़ी जा सकती है। कोर्ट ने धनबाद एसपी से पूछा है कि उनके कार्यकाल में इसको लेकर क्या कदम उठाए गए हैं। इसकी जानकारी एक जुलाई से पहले अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
यह है मामला
धनबाद के गोविंदपुर टोल टैक्स प्लाजा के टेंडर विवाद में 24 मार्च 2007 को मृत्युंजय कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले में अवध विश्वकर्मा, बबुआ पांडेय, मुकेश सिंह चौधरी, सोहराब अंसारी, शशि सिंह चौधरी, रविशंकर शर्मा, मुन्ना नवाब व हेमंत यादव पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
जांच के बाद पुलिस ने सात जून 2007 को अवध विश्वकर्मा व बबुआ पांडेय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जबकि बाकी अन्य आरोपितों के खिलाफ जांच जारी होने की बात कहते हुए मामले को लंबित छोड़ दिया। सिविल कोर्ट ने सात मार्च 2011 को अवध विश्वकर्मा व बबुआ पांडेय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जिसके खिलाफ इन दोनों हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है। 2007 से ही दोनों जेल में बंद है।
सुनवाई के दौरान हर बार पुलिस की कार्यशैली का नया मामला अदालत के सामने आ जाता है। अदालत ने इस मामले में धनबाद एसपी से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले में अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी। हाई कोर्ट में मंगलवार को अवध विश्वकर्मा व बबुआ पांडेय की अपील याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान अदालत को बताया गया कि इस मामले में नामजद छह आरोपित को पुलिस अब तक पकड़ नहीं पाई है।
इसके बाद अदालत ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया और कहा कि ऐसे मामले में नामजद आरोपितों की जांच अधूरी नहीं छोड़ी जा सकती है। कोर्ट ने धनबाद एसपी से पूछा है कि उनके कार्यकाल में इसको लेकर क्या कदम उठाए गए हैं। इसकी जानकारी एक जुलाई से पहले अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
यह है मामला
धनबाद के गोविंदपुर टोल टैक्स प्लाजा के टेंडर विवाद में 24 मार्च 2007 को मृत्युंजय कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले में अवध विश्वकर्मा, बबुआ पांडेय, मुकेश सिंह चौधरी, सोहराब अंसारी, शशि सिंह चौधरी, रविशंकर शर्मा, मुन्ना नवाब व हेमंत यादव पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
जांच के बाद पुलिस ने सात जून 2007 को अवध विश्वकर्मा व बबुआ पांडेय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जबकि बाकी अन्य आरोपितों के खिलाफ जांच जारी होने की बात कहते हुए मामले को लंबित छोड़ दिया। सिविल कोर्ट ने सात मार्च 2011 को अवध विश्वकर्मा व बबुआ पांडेय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जिसके खिलाफ इन दोनों हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है। 2007 से ही दोनों जेल में बंद है।
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