हाई कोर्ट के जज बोले, बिजली नहीं रहने के कारण सो नहीं पाते रात में Ranchi News
अदालत ने कहा कि बिजली निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से बिजली की चोरी होती है लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। कम से कम उन पर विभागीय कार्रवाई तो जरूर होनी चाहिए।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस केपी देव की अदालत ने शुक्रवार को बिजली चोरी के एक मामले में सुनवाई के दौरान ऊर्जा सचिव वंदना डाडेल को फटकार लगाई है। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि बिजली की हालत खराब है, बिजली कटौती के चलते वे (जज) भी रात में नहीं सो पाते हैं। अगर सिस्टम बिगड़ा है तो इसके लिए विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं। अदालत ने कहा कि बिजली निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से बिजली की चोरी होती है, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। कम से कम उन पर विभागीय कार्रवाई तो जरूर होनी चाहिए।
पहले तलब हुए थे जीएम
पहली बार सुनवाई के दौरान बिजली निगम के जीएम सशरीर अदालत में हाजिर हुए थे। अदालत ने उनसे कई सवाल किए। अदालत ने पूछा कि एक रेस्टोरेंट में बिजली चोरी की जा रही है, ऐसे में उस क्षेत्र के जेई को इसकी जानकारी नहीं होने से प्रतीत होता है कि उनकी मिलीभगत से ही बिजली चोरी हो रही थी। इसके बाद विभाग ने इस मामले में जेई की किसी गलती से इन्कार किया है। जीएम अदालत के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद अदालत ने नाराजगी जताते हुए ऊर्जा सचिव को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई साढ़े चार बजे तक स्थगित कर दी।
ऊर्जा सचिव व एमडी हुए हाजिर
शाम साढ़े चार बजे इस मामले में दोबारा सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान अदालत ने ऊर्जा सचिव से पूछा कि जब विभाग को इस बात की जानकारी थी कि उक्त रेस्टोरेंट मालिक पर कई बार बिजली चोरी का आरोप लग चुका है, तो इस मामले में दोषी अधिकारी पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। ऊर्जा सचिव की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बिजली निगम के सभी अधिकारी गांधीवादी है और सिर्फ जनता ही गड़बड़ी करती है। अदालत ने पूर्व में दाखिल शपथ पत्र में संशोधन करने के लिए बिजली निगम को तीन सप्ताह का समय है। इस दौरान बिजली वितरण निगम के एमडी राहुल पुरवार, जीएम सहित अन्य अधिकारी भी अदालत में हाजिर हुए।
हो सकती है मिलीभगत : महाधिवक्ता
महाधिवक्ता अजीत कुमार ने स्वीकार किया कि इस मामले में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। एक्ट के अनुसार बिजली चोरी पकड़े जाने पर एक साल का शुल्क वसूला जाता है, जो इस मामले में भी किया गया है। बिजली चोरी आम हो गई है। विभाग इसकी रोकथाम के लिए छापेमारी करता है। कहा कि अधिकारियों के साथ बैठक कर इस मामले में उचित निर्णय लिया जाएगा।
यह है मामला
हाई कोर्ट बिजली चोरी के आरोपित पवन कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है। उनका बोकारो के जरिडीह में एक रेस्टोरेंट हैं। बिजली निगम के अधिकारियों ने मई 2018 में छापेमारी की थी और उन पर 1.64 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। सुनवाई के दौरान अदालत को पता चला कि उक्त आरोपित पर कई बार बिजली चोरी करने का आरोप लगा है। जिस पर अदालत ने विभाग से पूछा था कि एक ही व्यक्ति बार-बार बिजली चोरी कर रहा है और इसकी जानकारी जेई को नहीं हो रही है। अदालत ने विभाग से जवाब मांगा था। विभाग ने अपने जवाब में कहा कि इस मामले में जेई की कोई गलती नहीं है। जिसके बाद अदालत ने बिजली विभाग के जीएम को तलब किया था।
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