रावण महतो ने की दुष्कर्म पीड़िता से शादी... अदालत ने कर दिया सारा गुनाह माफ
Jharkhand High Court दुष्कर्म मामले के आरोपित पुरूलिया निवासी तापस महतो उर्फ रावण महतो ने दुष्कर्म पीड़िता से शादी कर ली है। अदालत ने उसे साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। मामला क्या है विस्तार से जानिए...
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand High Court दुष्कर्म मामले के आरोपित पुरूलिया निवासी तापस महतो उर्फ रावण महतो ने पीड़िता से शादी कर ली है। जिसका लाभ उसे मिला है। अपर न्यायायुक्त दिनेश राय की अदालत ने उसे साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। पीड़िता की गवाही उक्त मामले में 17 मई को हुई थी, जिसमें वह अपने पूर्व के बयान से पलट गई। पीड़िता ने अदालत में कहा कि जिसपर दुष्कर्म का आरोप लगाया था, उससे मेरी शादी हो चुकी है। हमलोग अब साथ रह रहे हैं, इसलिए अब आगे केस नहीं लड़ना चाहते हैं।
पीड़िता ने दुष्कर्म की घटना को लेकर नामकुम थाना में 15 जुलाई 2019 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया था कि तापस महतो से उसकी मोबाइल पर दोस्ती हुई। वह रांची पहुंचा और मुझे दिल्ली ले गया। जहां जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया। 15 दिन वहां रहने के बाद रांची पहुंची, लेकिन उसने शादी से इन्कार कर दिया।
एफसीआइ के पूर्व जीएम पर फैसला 30 मई को
भ्रष्टाचार के आरोप में ट्रायल फेस कर रहे फूड कारपोरेशन आफ इंडिया (एफसीआइ) रांची के तत्कालीन महाप्रबंधक जी कार्तिकेयन के मामले में 30 मई को सीबीआइ कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। इस मामले की बहस पूरी होने के बाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने बुधवार को 30 मई को फैसले की तिथि निर्धारित की है।
कार्तिकेयन पर आरोप है कि जीएम रहते उन्होंने गढ़वा के किशोर इंटरप्राइजेज को ऊंची कीमत पर ठेका दिया था। कम कीमत पर टेंडर में शामिल होने वाली कंपनियों को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया था। जिससे सरकार को लाखों रुपये राजस्व की क्षति हुई थी। इसकी शिकायत पर सीबीआइ को मिली थी। सीबीआइ ने मई 2015 में केस दर्ज कर मामले की छानबीन की थी। मामले में 28 फरवरी 2018 को जी कार्तिकेयन एवं ठेकेदार जुगल किशोर के खिलाफ आरोप गठित किया गया था। मामले में 13 अगस्त 2019 को अभियोजन साक्ष्य बंद हो गया था।
ग्रैंड्स माइनिंग से रायल्टी वसूली पर रोक, मांगा जवाब
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में रायल्टी विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दिया है, जिसमें दो तरह की रायल्टी वसूलने का आदेश जारी किया गया था। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 29 जून को होगी।
इस संबंध में ग्रैंड्स माइनिंग कंपनी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने मई माह में कंपनी से रायल्टी के लिए डिमांड नोटिस जारी किया है। इसमें बोल्डर और स्टोन चिप्स दोनों तरह की रायल्टी मांगी गई है। जबकि कंपनी सिर्फ बोल्डर खनन का काम करती है। जिसका प्रति मीटर क्यूब की रायल्टी 132 रुपये है। लेकिन स्टोन चिप्स का प्रति मीटर क्यूब की रायल्टी 250 रुपये है। दोनों रायल्टी उनसे तब वसूली जाती, जब उनके खनन क्षेत्र में क्रशर मशीन होती। कंपनी सिर्फ बोल्डर का खनन करती है और उसे खनन क्षेत्र से बाहर ले जाकर स्टोन चिप्स बनाया जाता है। ऐसे में सरकार उनसे दो तरह की रायल्टी नहीं वसूल सकती है। इसके बाद अदालत ने सरकार के डिमांड नोटिस पर रोक लगा दिया और सरकार से जवाब मांगा है।