Jharkhand HC: पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को बड़ा झटका, ढाई साल की सजा बरकरार
Jharkhand High Court. पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को निचली अदालत ने रंगदारी के मामले में ढाई साल की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ योगेंद्र साव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट से पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को बड़ा झटका लगा है। जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने निचली अदालत की सजा को बरकरार रखते हुए उनकी अपील याचिका खारिज कर दी। रंगदारी मांगने के मामले में निचली अदालत ने योगेंद्र साव को ढाई साल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ इन्होंने हाई कोर्ट में अपील याचिका दाखिल की थी।
फिलहाल योगेंद्र साव होटवार स्थिति बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं। योगेंद्र साव की याचिका के साथ इस मामले में दूसरे आरोपित रंधीर गुप्ता की भी अपील याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। पूर्व में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और याचिका को खारिज कर दिया।
अभियोजन स्वीकृति नहीं लेने का उठाया था मुद्दा
पिछली सुनवाई में योगेंद्र साव की ओर से कहा गया था कि घटना के समय योगेंद्र साव विधायक थे, इसलिए उनपर मुकदमा चलाने से पहले सरकार से अभियोजन स्वीकृति लेनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था, इसलिए निचली अदालत की कार्यवाही गलत है। यह भी बताया गया कि इस मामले में अदालत में पेश सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) भी घटना के दिन की नहीं है।
इस दौरान योगेंद्र साव की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने पक्ष रखा था। वहीं सरकार की ओर से उनकी दलील का विरोध किया गया था। बता दें कि निचली अदालत ने रामगढ़ की कंपनी स्पंज आयरन के प्रबंधक से पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगने के मामले में दोषी करार देते हुए योगेंद्र साव को ढाई साल की सजा सुनाई थी।