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सक्षम पदाधिकारी से जारी जाति प्रमाणपत्र से ही मिलेगा आरक्षण का लाभ

रांची झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में मंगलवार को जाति प्रमाण पत्र होने के बाद भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलने के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सक्षम पदाधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र से ही आरक्षण का लाभ मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 01:44 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 01:44 AM (IST)
सक्षम पदाधिकारी से जारी जाति प्रमाणपत्र से ही मिलेगा आरक्षण का लाभ

रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में मंगलवार को जाति प्रमाण पत्र होने के बाद भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलने के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सक्षम पदाधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र से ही आरक्षण का लाभ मिलेगा। लिहाजा इस मामले में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) का निर्णय सही है।

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इस संबंध में धर्मेद्र कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2016 में कंबाइंड ग्रेजुएट ट्रेंड टीचर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इसमें उसने भी आवेदन दिया था। आरक्षण के लिए उन्होंने अंचलाधिकारी (सीओ) से बने जाति प्रमाण पत्र दिया था। इसके बाद भी नियुक्ति में उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिला। जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने अदालत को बताया कि नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन की शर्तो के अनुरूप इनका जाति प्रमाण पत्र नहीं था। इसलिए आरक्षण का लाभ नहीं देते हुए उन्हें सामान्य श्रेणी में रखा गया, जिसके चलते उनका चयन नहीं हुआ। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने धर्मेद्र कुमार की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि विज्ञापन में दी गई शर्तो के अनुरूप जाति प्रमाणपत्र होने पर ही आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है।

------------- चिटफंड कंपनी के एमडी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में मंगलवार को चिटफंड कंपनी के एमडी दिनेश्वर साहू की अग्रिम जमानत पर सुनवाई हुई। अदालत ने प्रार्थी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इस संबंध में मेसर्स फ्रीडम फैसिलिटी कार्ड प्राइवेट लिमिटेड, गोड्डा के एमडी दिनेश्वर साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने कहा कि इस फर्जीवाड़ा में दिनेश्वर साहू की कोई भूमिका नहीं थी। किसी भी निवेशक ने उनपर पैसा लेने और बाद में भुगतान नहीं करने का कोई आरोप नहीं लगाया है। इसलिए उन्हें जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने दिनेश्वर साहू की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि सीबीआइ ने फ्रीडम फैसिलिटी कंपनी के एजेंट प्रकाश प्रजापति की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोप है कि कंपनी ने उसे ग्रामीणों से साढ़े सात सौ रुपये का निवेश करने को कहा था, इसके एवज में दो साल में लाभुकों को दो हजार 555 रुपये कंपनी की ओर से मिलना था। दो साल बाद कंपनी बंद कर नई कंपनी खोल ली गई। ऐसे तीन कंपनी बनाकर इन लोगों ने एक करोड़ पाच लाख रुपये से अधिक की राशि की ठगी की। बाद में हाई कोर्ट ने राज्य के सभी चिटफंड मामलों की जांच सीबीआइ को सौंप दी।

----------- अधिवक्ता लिपिक कल्याण निधि की बनेगी नियमावली

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड अधिवक्ता लिपिक कल्याण निधि नियमावली के गठन से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद झारखंड अधिवक्ता लिपिक कल्याण निधि अधिनियम-2018 के प्रावधानों के अधीन झारखंड अधिवक्ता लिपिक कल्याण निधि नियमावली का गठन किया जाना है।

झारखंड अधिवक्ता लिपिक कल्याण निधि अधिनियम -2018 के तहत झारखंड अधिवक्ता लिपिक कल्याण निधि समिति के गठन की अधिसूचना पहले ही जारी की चुकी है। इस समिति के अध्यक्ष बार काउंसिल के अध्यक्ष (चेयरमैन) होंगे, जबकि विधि विभाग के प्रधान सचिव, गृह विभाग के प्रधान सचिव, वित्त विभाग के प्रधान सचिव और झारखंड हाई कोर्ट के महानिबंधक इसके पदेन सदस्य होंगे। इसके अलावा तीन अधिवक्ता लिपिक भी इस समिति में शामिल होंगे। इनमें से एक अधिवक्ता लिपिक को समिति द्वारा निधि का कोषाध्यक्ष मनोनीत किया जाएगा।

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