पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के मामले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत से मांगी रिपोर्ट Ranchi News
Jharkhand. हाई कोर्ट ने पूछा कि कितनों की हुई गवाही और कितना बाकी है। एनटीपीसी के लिए हो रहे जमीन अधिग्रहण के विरोध का मामला है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एबी सिंह की अदालत में शुक्रवार को पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में निचली अदालत से रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने पूछा कि इस मामले में कितने लोगों की गवाही दर्ज हो चुकी है और कितनों की होनी बाकी है। मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी। इस मामले में सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि जांच अधिकारी (आइओ) की गवाही दर्ज कराने में आठ माह का समय लगेगा।
इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि आइओ की गवाही के लिए इतना समय क्यों लगेगा। इसके बाद अदालत ने निचली अदालत से ही रिपोर्ट मांगी है। सुनवाई के दौरान योगेंद्र साव के अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेन ने अदालत को बताया कि जब एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन) के लिए हो रहे जमीन अधिग्रहण के विरोध में सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा था, तो योगेंद्र साव उस समय वहां मौजूद नहीं थे।
सूचक ने भी अपनी गवाही में इसकी पुष्टि की है। इसलिए उन्हें जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए। इसका सरकार की ओर से विरोध किया गया। बता दें कि एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण के खिलाफ विधायक निर्मला देवी के नेतृत्व में सत्याग्रह आंदोलन चलाया जा रहा था। बाद में पुलिस से झड़प हुई थी। पुलिस ने बड़कागांव थाने में प्राथमिकी दर्ज करते हुए योगेंद्र साव सहित अन्य को आरोपित बनाया है।
इस मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से पहले जमानत मिली थी, लेकिन जमानत की शर्तों उल्लंघन करने पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत को रद कर दिया। इसके बाद इन्होंने 15 अप्रैल 2019 को रांची की निचली अदालत में सरेंडर किया। तब से वे जेल में हैैं।