अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को राहत, हाई कोर्ट ने हटाने के आदेश पर लगाई रोक Ranchi News
Jharkhand. अप्रशिक्षित पारा टीचर को हटाने की अनुशंसा को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य के करीब साढ़े चार हजार अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने गुरुवार को राज्य सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने का आदेश दिया गया है। साथ ही, अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
इस संबंध में समीर कुमार देव सहित अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसमें उन्हें हटाने संबंधी सरकार के आदेश को चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन व पीयूष चित्रेश ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार के आदेश पर एनआइओएस (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग) ने पारा शिक्षकों की परीक्षा ली और उन्हें प्रशिक्षित किया।
अब एनआइओएस ने ऐसे पारा शिक्षकों की पूरक परीक्षा लेने की बात कह रहा है, जो पूर्व की परीक्षा में सफल नहीं हुए। असफल पारा शिक्षकों ने एनआइओएस में अपना रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है और इसके लिए जनवरी 2020 में परीक्षा तय की गई है। ऐसे में पारा शिक्षकों को हटाया जाना असंवैधानिक होगा। अदालत ने वादी की दलीलों को स्वीकार करते हुए सरकार के आदेश पर रोक लगा दी। वहीं, राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
यह है मामला
राज्य में वर्ष 2003 से पारा शिक्षकों की नियुक्ति शुरू हुई। वर्ष 2009 में आरटीई लागू होने पर इन्हें प्रशिक्षित करने और जिन पारा टीचर को इंटरमीडिएट में 50 फीसदी से कम अंक मिले हैैंं, उन्हें इंप्रुवमेंट इग्जाम देकर 50 फीसद से ज्यादा अंक लाने का आदेश दिया गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने एनआइओएस के जरिए तीन साल में अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का आदेश दिया था। इस परीक्षा में करीब साढ़े चार हजार पारा शिक्षक असफल हुए। इसके बाद राज्य सरकार ने 24 जून 2019 को सभी अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को हटाने की अनुशंसा जारी कर दी।