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Ranchi Violence: रांची हिंसा मामले में हाई कोर्ट ने कहा- क्यों नहीं CBI को सौंप दें जांच, सरकार पर उठे सवाल

Ranchi Violence रांची हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मामले की जांच में बेवजह देरी कर रही है। कुछ मामले की सीआइडी जांच रही है तो कुछ केस पुलिस के पास है जिससे प्रतीत होता है कि सरकार सही जांच नहीं चाहती है।

By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyPublished: Sat, 10 Dec 2022 09:34 AM (IST)Updated: Sat, 10 Dec 2022 09:34 AM (IST)
Ranchi Violence: रांची हिंसा मामले में हाई कोर्ट ने कहा- क्यों नहीं CBI को सौंप दें जांच, सरकार पर उठे सवाल
Ranchi Violence: रांची हिंसा मामले में हाई कोर्ट ने कहा- क्यों नहीं CBI को सौंप दें जांच

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में रांची हिंसा की एनआइए जांच को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में राज्य के गृह सचिव और डीजीपी को तलब किया है। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि मामले की जांच में विरोधाभास है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ही सही जांच नहीं चाहती है क्योंकि इससे जुड़े कुछ मामले की सीआइडी जांच रही है तो कुछ केस की पुलिस। सीआइडी और पुलिस की जांच रिपोर्ट में अंतर आने पर जांच को बंद कर दिया जाएगा।

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अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले की जांच में बेवजह देरी कर रही है। अगर सरकार मामले की सही जांच नहीं करा पा रही है तो क्यों नहीं इसकी जांच सीबीआइ को सौंप दी जाए। मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर होगी। इस दिन गृह सचिव और डीजीपी सशरीर कोर्ट में हाजिर होंगे। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता विजय रंजन सिन्हा ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर से हिंसा से संबंधित दस साल में दर्ज केस की जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि दो सौ से ज्यादा मामलों की जांच सीआइडी कर रही है। इसमें इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया है कि आखिर कितने मामलों का निपटारा हो गया है और कितने मामले लंबित है।

ट्रांसफर फाइल में कुछ भी नहीं

कोर्ट सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि घटना के बाद रांची के तत्कालीन एसएसपी का ट्रांसफर करने से संबंधित जो फाइल कोर्ट ने मंगाई थी उसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि एसएसपी का ट्रांसफर क्यों किया गया है। फाइल तोसिर्फ आइवाश है। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि कौन सी प्रशासनिक अनिवार्यता थी जिसके चलते घटना के समय वहां मौजूद रांची के तत्कालीन एसएसपी को स्थानांतरित कर दिया गया था। अदालत ने डीजीपी और गृह सचिव को इसे स्पष्ट करने को कहा है।

अदालत ने कहा कि सरकार जांच के लिए पहले एसआइटी बनायी। फिर जांच सीआइडी को दे दी गई, लेकिन सीआइडी भी कुछ नहीं कर पाई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि मानव अधिकार आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि पुलिस की गोलीबारी में कोई घायल या मारा जाता हैं, उस घटना की जांच सीआइडी ही करेगी। डेली मार्केट थाना केस सीआइडी को दिया गया।

बता दें कि नुपूर शर्मा के बयान के बाद दस जून को रांची में नमाज के बाद हुई हिंसा की एनआइए जांच को लेकर पंकज यादव ने जनहित याचिका दाखिल की है। अदालत से मामले की एनआइए जांच करा कर झारखंड संपत्ति विनाश और क्षति निवारण विधेयक 2016 के अनुसार आरोपितों के घर को तोड़ने का आदेश देने का आग्रह किया है। इस घटना को प्रायोजित बताते हुए एनआइए से जांच करके यह पता लगाने का आग्रह किया है कि किस संगठन ने फंडिंग कर घटना को अंजाम दिया।


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