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कोरोना के सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए झारखंड सरकार खरीदेगी मशीन, दो अस्‍पतालों में होगा स्‍थापित

Jharkhand News Genome Sequencing COVID 19 केंद्र से मशीन नहीं मिलने के बाद झारखंड सरकार ने रिम्स तथा एमजीएम के लिए एक-एक मशीन खरीदने का प्रस्ताव तैयार किया है। अब राज्य में ही जीनोम सिक्वेंसिंग से कोरोना के वैरिएंट की पहचान हो सकेगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 04 Jul 2021 11:28 AM (IST)Updated: Sun, 04 Jul 2021 12:26 PM (IST)
Jharkhand News, Genome Sequencing COVID 19 अब राज्य में ही जीनोम सिक्वेंसिंग से कोरोना के वैरिएंट की पहचान हो सकेगी।

रांची, राज्य ब्यूरो। अब कोरोना के वैरिएंट की पहचान राज्य में ही हो सकेगी। कोरोना के वैरिएंट की पहचान के लिए आरटी-पीसीआर में पॉजिटिव पाए गए सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग यहीं हो सकेगी। इसके लिए रांची के रिम्स तथा जमशेदपुर के एमजीएम में एक-एक जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लगाई जाएगी। केंद्र से जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने अपने खर्च पर दो मशीनें खरीदने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने पूर्व में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) से जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए एक मशीन की मांग की थी।

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स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने इसे लेकर दो बार आइसीएमआर को पत्र लिखा। इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने यह मशीन स्वयं खरीदने का निर्णय लिया। स्वास्थ्य विभाग ने दो मशीनों के क्रय का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। वित्त विभाग की स्वीकृति के बाद इस पर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी।

बता दें कि आइसीएमआर ने आरटी-पीसीआर में पॉजिटिव पाए गए वैसे सभी सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराने की अनुशंसा की है जिसका सीटी वैल्यू 25 या इससे कम होता है। वर्तमान में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए सैंपल भुवनेश्वर स्थित रीजनल जीनोम सिक्वेंसिंग लेबोरेट्री को भेजा जाता है। वहां से इसकी रिपोर्ट आने में एक से डेढ़ माह लग जाते हैं। राज्य सरकार ने सभी 10 आरटी-पीसीआर लैब को प्रत्येक माह तीस-तीस सैंपल अनिवार्य रूप से जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजने के निर्देश दिए हैं।

राज्य सरकार लगा रही दो कोबास मशीनें

राज्य सरकार ने कोरोना जांच के लिए कोबास मशीन की भी मांग आइसीएमआर से की थी। इसे लेकर भी पिछले साल कोरोना की पहली लहर आने के बाद कई बार आइसीएमआर को पत्र लिखे गए। आइसीएमआर से यह मशीन नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने अपने खर्च पर दो ऐसी मशीनें खरीदने का निर्णय लिया है। रांची के रिम्स तथा दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में एक-एक कोबास-6800 मशीन लगेगी।

राज्य सरकार ने दोनों मेडिकल कॉलेज सह अस्पतालों में एक-एक कोबास मशीन लगाने के लिए रोचे डायग्नोस्टिक लिमिटेड को वर्क ऑर्डर दिया है। दोनों मशीनों को लगाने पर कुल 8.73 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बताया जाता है कि कोबास मशीन लग जाने से प्रत्येक मशीन से एक दिन में 1,344 सैंपल की जांच हो सकेगी। इससे प्रत्येक दिन 2,700 सैंपल की जांच बढ़ जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि इसकी जांच की गुणवत्ता बेहतर होती है।


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