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झारखंड में अब हर साल फीस नहीं बढ़ा पाएंगे निजी स्कूल

स्कूलों द्वारा मनमाना शुल्क लेने पर उसे 50 हजार से ढाई लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा। निजी स्कूल दस फीसद से अधिक शुल्क नहीं बढ़ा सकेंगे।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 10:07 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 12:33 PM (IST)
झारखंड में अब हर साल फीस नहीं बढ़ा पाएंगे निजी स्कूल
झारखंड में अब हर साल फीस नहीं बढ़ा पाएंगे निजी स्कूल

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के निजी स्कूलों की मनमानी रोकने वाला विधेयक 'झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक' झारखंड विधानसभा में शनिवार को पास हो गया। इसमें यह प्रावधान किया गया है कि निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए स्कूल व जिला स्तर पर कमेटी गठित होगी। स्कूल स्तरीय समिति में अभिभावक भी होंगे। स्कूलों द्वारा मनमाना शुल्क लेने पर उसे 50 हजार रुपये से लेकर ढाई लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा। निजी स्कूल दस फीसद से अधिक शुल्क नहीं बढ़ा सकेंगे। इससे अधिक शुल्क बढ़ाने के लिए उन्हें उपायुक्तों की अध्यक्षता वाली जिला कमेटी से अनुमोदन लेना होगा।

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प्रत्येक निजी स्कूलों की फीस कमेटी होगी, जिसमें स्कूल प्रबंधन द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि अध्यक्ष, प्राचार्य सचिव, तीन मनोनीत शिक्षक तथा अभिभावक संघ द्वारा नामित चार अभिभावक सदस्य होंगे। इस कमेटी का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए होगा। शुल्क के निर्धारण में स्कूल की स्थिति, उपलब्ध शैक्षणिक संरचना, शिक्षकों की संख्या तथा उन्हें दिए जानेवाले वेतन को ध्यान में रखा जाएगा। कमेटी प्रस्तावित शुल्क संरचना की मंजूरी एक माह के भीतर देगी। निर्धारित शुल्क दो वर्ष के लिए वैध होगा।

इस तरह, स्कूल प्रत्येक वर्ष शुल्क में वृद्धि नहीं कर सकेंगे।यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई स्कूल दस फीसद से अधिक फीस बढ़ाता है तो उसे जिला कमेटी से अनुमोदन लेना होगा। यह जिला कमेटी उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित होगी। समिति शुल्क बढ़ाने के विरोध को लेकर अभिभावकों के पक्ष की सुनवाई करेगी और 60 दिनों के भीतर अपना फैसला देगी। जिला कमेटी का आदेश दो साल के लिए मान्य होगा तथा इसके विरोध में मामला झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण को छोड़कर किसी अन्य सिविल न्यायालय में नहीं लाया जाएगा।

जिला कमेटी में सांसद-विधायक भी

जिला स्तरीय कमेटी में संबंधित क्षेत्र के सांसद और विधायक भी सदस्य होंगे। पिछले शीत सत्र में इस मसले को लेकर हंगामा हुआ था और विधायक को शामिल करने को लेकर ही इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया था।

अधिक फीस लेने पर रद होगी मान्यता

किसी स्कूल द्वारा इस अधिनियम का पहली बार उल्लंघन करने पर 50 हजार से ढाई लाख रुपये (या लिए गए अधिक शुल्क की दोगुनी राशि जो भी अधिक हो) तक जुर्माना देना होगा। दूसरी बार यह अपराध करने पर न्यूनतम राशि एक लाख रुपये हो जाएगी। राज्य सरकार उक्त स्कूल की मान्यता भी खत्म कर सकेगी।

प्रमंडलीय आयुक्त करेंगे कार्रवाई

जिला कमेटी के आदेशों के उल्लंघन की सूचना कमेटी का कोई भी सदस्य प्रमंडलीय आयुक्त को देगा। प्रमंडलीय आयुक्त उक्त शिकायत का निष्पादन दो माह के भीतर करेंगे। प्रमंडलीय आयुक्त ही दंड की राशि की वसूली करेंगे। यह राशि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के पास जमा होगी।

किताब-कॉपी, ड्रेस खरीदने के लिए नहीं डाल सकेंगे अभिभावकों पर दबाव

स्कूल परिसर में पुस्तक या अन्य सामग्री जैसे ड्रेस, जूता-मोजा आदि की बिक्री करने पर अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। स्कूल परिसर का इस्तेमाल केवल शैक्षणिक कार्य के लिए किया जाएगा।

यह भी प्रावधान

- झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण में मामला आने के बाद 30 दिनों के भीतर इसका निपटारा किया जाएगा।

- न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध झारखंड उच्च न्यायालय में 90 दिनों के भीतर ही अपील की जा सकेगी।

- स्कूलों को जिला कमेटी का निर्णय नोटिस बोर्ड तथा वेबसाइट में चिपकाना होगा।


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