एनीमिया की जांच खून से नहीं, मोबाइल एप से होगी; जानें बीमारी से बचाव के तरीके
Anemia. खून की कमी से जूझ रहे एक हजार लोगों पर रिम्स शोध कर रहा है। पैथोलॉजिकल और एप के माध्यम से इस तरह का शोध अमेरिका में हो चुका है।
रांची, [शक्ति सिंह] । एनीमिया जैसी बीमारी में खून की कमी से जूझ रहे लोगों को जांच के लिए आने वाले दिनों में खून नहीं देना पड़ेगा। बिना खून दिए ही इस बीमारी में जांच हो सकेगी। यह सब एक मोबाइल एप से आई कॉन्टेक्ट के माध्यम से संभव हो सकेगा। इसके माध्यम से जांच में शरीर में खून की कितनी कमी है, पता चल सकेगा। अमेरिका में एनीमिया की जांच के लिए इस एप का इस्तेमाल किया जाता है। रांची के रिम्स में भी इस पर शोध जारी है। रिम्स के पीएसएम विभाग में 1000 लोगों पर परीक्षण की तैयारी चल रही है। यदि झारखंड में यह सफल होता है तो लोगों को बहुत लाभ होगा, क्योंकि झारखंड के बड़े इलाके में कुपोषण के कारण 60 फीसद लोग एनीमिया के शिकार हैं।
झारखंड के लोगों के लिए होगा वरदान
एनीमिया जैसी बीमारी से जूझ रहे झारखंड के लोगों के लिए यह प्रयोग वरदान साबित होगा। रिम्स में 1000 लोगों पर प्रयोग चल रहा है। इसमें एनीमिया से पीडि़त जिन लोगों को परीक्षण में शामिल किया जाएगा उनका मोबाइल एप से आइ कॉन्टेक्ट के माध्यम से जांच की जाएगी। फिर उनका पैथोलॉजिकल टेस्ट किया जाएगा। देखा जाएगा कि दोनों जांच में कितना फर्क है। शोध करने वालों का मानना है कि जब अमेरिका में कारगर है, तो भारत में कारगर क्यों नहीं हो सकता। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो दूसरे रोगों में भी फायदा होगा, क्योंकि खून की कमी से कई दूसरी बीमारियां हो जाती है। शोध के उपरांत आने वाली रिपोर्ट को स्वास्थ्य विभाग को सौंपा जाएगा, ताकि भविष्य में स्वास्थ्य नीतियों में इस व्यवस्था को शामिल किया जा सके। इस दिशा में रिम्स काम करना भी शुरू कर दिया है।
मरीज के शरीर से नहीं लेंगे खून
'रिम्स एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिसमें मरीज के शरीर से बिना खून निकाले उसकी जांच हो सकेगी। एनीमिया की जांच के लिए खून निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि एप की मदद से इसकी जांच की जा सकती है। -डॉ. विवेक कश्यप, अधीक्षक, रिम्स
एनीमिया से जुड़ी बातें
-एनीमिया का अर्थ है शरीर में खून की कमी।
-पुरुषों में इसकी मात्रा 12 से 16 फीसद तथा महिलाओं में 11 से 14 के बीच होना चाहिए।
-किशोरावस्था और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में एनीमिया सबसे अधिक होता है।
-भारत में 80 फीसद से अधिक गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीडि़त हैं।
लक्षण
-त्वचा का सफेद दिखना।
- जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी।
-कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट।
-चक्कर आना, विशेषकर लेटकर एवं बैठकर उठने में।
कारण
- सबसे प्रमुख कारण लौह तत्व वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करना।
- मलेरिया के बाद जिससे लाल रक्त कण(आरजीबी) नष्ट हो जाते हैं।
- किसी भी कारण रक्त में कमी
-शरीर से खून निकलना : दुर्घटना, चोट, घाव आदि में अधिक खून बहना
- शौच, उल्टी, खांसी के साथ खून का बहना।
उपचार तथा रोकथाम
-एनीमिया मलेरिया या परजीवी कीड़ों के कारण होते हैं, तो पहले उनका इलाज करें।
- लौहतत्वयुक्त चीजों का सेवन करें।
-गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फॉलिक एसिड की 1 गोली रोज रात को खाने के बाद लेनी चाहिए।