किसानों को 4 लाख रुपये की सब्सिडी में मुफ्त में मिल रहा ट्रैक्टर, टैक्स-पैन के फेर में उलझा...
Jharkhand News Samachar झारखंड में किसान समूहों को 80 फीसद अनुदान पर मिनी ट्रैक्टर मुहैया कराए जा रहे हैं। राज्य सरकार इन ट्रैक्टरों पर अधिकतम चार लाख तक अनुदान दे रही है। राज्य में कुल 425 मिनी ट्रैक्टर बांटे जाने हैं इसके लिए 18 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया।
रांची, [आनंद मिश्र]। Jharkhand News Samachar झारखंड के किसानों को अनुदानित दर पर मुहैया कराए जाने वाले ट्रैक्टर से जुड़े पेंच सुलझने का नाम नहीं ले रहे हैं। तीन बरस बाद इस वर्ष ट्रैक्टर मिलने की उम्मीदें जगीं तो मामला तकनीकी झंझट में उलझ कर रह गया। नतीजा गत वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक इसे बांटा नहीं जा सका, अब नए वित्तीय वर्ष के अप्रैल या मई माह में भी यह किसानों को मुहैया हो पाएगा इसे लेकर संशय बरकरार है।
बता दें कि झारखंड में किसान समूहों को तीन बरस बाद 80 फीसद अनुदान पर मिनी ट्रैक्टर मुहैया कराए जा रहे हैं। राज्य सरकार इन ट्रैक्टरों पर अधिकतम चार लाख तक अनुदान दे रही है। राज्य में कुल 425 मिनी ट्रैक्टर बांटे जाने हैं, इसके लिए 18 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया था, जबकि कृषि यांत्रिकीकरण के लिए कुल 25 करोड़ का। पहले विभागीय, फिर कंपनियों के चयन से जुड़ी तमाम पेचीदगियों से निकलने के बाद अब यह मामला विभागीय समन्वय के अभाव में लटक गया है।
दरअसल, परिवहन विभाग ने कुछ बरस पहले ट्रैक्टर को कामर्शियल श्रेणी में डाल दिया था, इस श्रेणी का रजिस्ट्रेशन शुल्क अपेक्षाकृत अधिक होता है। इतना ही नहीं विभाग का साफ्टवेयर रजिस्ट्रेशन के समय जिस संस्था को ट्रैक्टर दिया जाना है उसका पैन नंबर भी मांगता है। चार लाख के अनुदान पर दिए जाने वाले मिनी ट्रैक्टर के कामर्शियल रजिस्ट्रेशन पर कृषि विभाग राजी नहीं है।
वहीं, जिन संस्थाओं जिनमें अधिकतर महिला स्वयं सहायता समूह हैं, का पैन नहीं है। हां, संस्था में शामिल कुछ लोगों का पैन अवश्य है। अब संस्था के अध्यक्ष या सचिव के नाम का पैन नंबर डालने पर सहमति बनती भी है तो साफ्टवेयर से इसकी इजाजत मांगनी होगी, सीधे शब्दों में समझे तो कुछ फेरबदल करना होगा। यहां यह भी बता दें कि राज्य सरकार के स्तर से तय किया गया है कि बिना रजिस्ट्रेशन किसी भी स्वयं सहायता समूह को मिनी ट्रैक्टर नहीं दिया जाएगा।
जाहिर है गाड़ी अटक गई है। विभागीय सूत्रों की मानें तो इस पूरे प्रकरण से विभागीय मंत्री बादल और सचिव को अवगत करा दिया गया है। अब मंत्रालय के स्तर से इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास तेज हो गया है। बात न बनीं तो मामला कैबिनेट की दहलीज तक भी पहुंच सकता है।