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पढ़ाई के बनकाठी मॉडल पर बन रही डॉक्यूमेंट्री 'टोला क्‍लास', भेजी जाएगी फिल्म फेस्टिवल और दूरदर्शन में

Jharkhand Dumka News डॉक्यूमेंट्री की अवधि 40 मिनट होगी और इसकी शूटिंग 10 दिनों में पूरी होगी। इस मॉडल को यू टयूब में भी डालने की तैयारी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 09:07 PM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 08:17 AM (IST)
पढ़ाई के बनकाठी मॉडल पर बन रही डॉक्यूमेंट्री 'टोला क्‍लास', भेजी जाएगी फिल्म फेस्टिवल और दूरदर्शन में
पढ़ाई के बनकाठी मॉडल पर बन रही डॉक्यूमेंट्री 'टोला क्‍लास', भेजी जाएगी फिल्म फेस्टिवल और दूरदर्शन में

दुमका, [आरसी सिन्हा]। पढ़ाई के बनकाठी मॉडल 'टोला क्लास' पर डॉक्यूमेंट्री बन रही है। झारखंड के दुमका निवासी सत्यजीत शर्मा के निर्देशन में जिंजर डिजाइन फिल्म्स के बैनर तले बन रही यह डॉक्यूमेंट्री कुल 40 मिनट की होगी। 10 दिनों में इसकी शूटिंग पूरी होने की उम्मीद है। दरअसल कोरोनाकाल में जब स्कूल बंद हुआ और ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई तो बनकाठी गांव में नेटवर्क की समस्या और गरीबी बाधक बनने लगी। इस समस्या के निदान के लिए दुमका के बनकाठी स्कूल के शिक्षकों ने एक नायाब तरीका अपनाया।

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उन्होंने लाउडस्पीकर से कक्षा शुरू की। सत्यजीत के अनुसार वह मुंबई और दिल्ली में लघु फिल्म और डाक्यूमेट्री के लिए वे बतौर निर्देशक व संपादक के रूप में काम करते रहे हैं। लॉकडाउन के कारण फिलहाल दुमका में ही हैं। कोरोना संक्रमण के इस दौर में टोला क्लास ने उन्हें खासा प्रभावित किया। यह डॉक्यूमेंट्री वे फिल्म फेस्टिवल के लिए तैयार कर रहे हैं। साथ ही इसेे दूरदर्शन को भी भेजी जाएगी। इस मॉडल को यू टयूब में भी डालने की तैयारी है।

कौन हैं सत्यजीत

सत्यजीत का बचपन व किशोरावस्था उपराजधानी दुमका में बीता। उच्च शिक्षा के लिए वे दिल्ली गए। उन्होंने  किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई पूरी की। इन्होंने अभी तक छह डॉक्यूमेंट्री बनाई है। 2017 में  हैंडीक्राफ्ट कलस्टर प्रोजेक्ट बस्तर कल स्टर बनाई। 2018 में जिंगलिंग बेल्स एंड न्यू डाउन और द पावर आफ सोशल मीडिया, 2019 में स्काउटिंग इन कजाकिस्तान और 2020 में अवेयरनेस कैंपेन ऑन ऑर्गन डोनेशन नामक डॉक्यूमेंट्री तैयार की।

ऐसा है बनकाठी मॉडल

दुमका का एक आदिवासी बहुल गांव है बनकाठी। लॉकडाउन में स्कूल बंद हो जाने पर शिक्षा परियोजना ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए दो तरीकों को अपनाया। स्मार्ट फोन और डीडी चैनल के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हुई। मुश्किल यह कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय में अध्ययनरत 246 बच्चों में से महज 44 बच्चों के ही घर में ही मोबाइल थे, जबकि पांच घरों में ही टीवी की उपलब्धता थी।

ऐसे में शिक्षकों ने एक तरीका अपनाया। पेड़ पर लाउडस्पीकर टांग कर टोले के बीच सड़क पर दो घंटे की कक्षा शुरू कर दी। यह व्यवस्था पहली से चौथी कक्षा तक के बच्चों के लिए की गई है। गणित के लिए प्रोजेक्टर का सहारा लिया जाता है। लाउडस्पीकर को पहले भाड़े पर लिया गया। बाद में प्रधानाध्यापक श्याम किशोर सिंह ने अपने वेतन से 14 हजार में सेट क्रय कर लिया।


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