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झारखंड कांग्रेस के विधायक अनुशासन के डंडे से भी नहीं डरते, प्रदेश अध्‍यक्ष के खिलाफ खेमेबंदी जारी

Jharkhand Congress. प्रदेश अध्यक्ष ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी है। विधायक भितरखाने सक्रिय हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर तनातनी चरम पर है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 09:52 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 10:44 AM (IST)
झारखंड कांग्रेस के विधायक अनुशासन के डंडे से भी नहीं डरते, प्रदेश अध्‍यक्ष के खिलाफ खेमेबंदी जारी
झारखंड कांग्रेस के विधायक अनुशासन के डंडे से भी नहीं डरते, प्रदेश अध्‍यक्ष के खिलाफ खेमेबंदी जारी

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में कांग्रेस पार्टी में अनुशासनहीनता का सिलसिला अंतहीन है। गर्दिश के दौर से पार्टी के निकलने के बाद भी फिलहाल यह थमता नहीं दिख रहा है। इससे पहले भी प्रदेश अध्यक्षों के खिलाफ कद्दावर नेता खेमेबंदी करते रहे हैं। अभी भी यह बदस्तूर जारी है। पिछले दिनों तीन विधायकों डा. इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला और राजेश कच्छप के दिल्ली जाने और शिकायतों की झड़ी लगाने के बाद कांग्रेस के भितरखाने विवाद बढ़ा है।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. रामेश्वर उरांव ने भी तल्ख रवैया अपनाते हुए अपने अंदाज में जवाब दिया है। उनका कहना है कि वे किसी की कृपा से पद पर नहीं बने हैं। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर तनातनी चरम पर है। पार्टी के भीतर-बाहर एक व्यक्ति, एक पद का फार्मूला लागू करने का दबाव है। आश्चर्यजनक यह है कि दल के भीतर वे इस मुद्दे पर अकेले दिखाई पड़ रहे हैं। कोई वरीय नेता अबतक उनके बचाव में खुलकर सामने नहीं आ रहा है।

जानकारी के मुताबिक उन्होंने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह को अपनी शिकायत से अवगत कराया है। उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि वे इन गतिविधियों की अनदेखी करें। अध्यक्ष के अलावा विधायकों का निशाना सरकार पर भी है। विधायकों का आरोप है कि उनकी बातों की अनसुनी की जाती है। ऐसे में वे उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की धमकी के बावजूद विधायकों की खेमेबंदी का सिलसिला अप्रत्यक्ष तौर पर जारी है। वे लगातार सक्रिय हैं। बताया जाता है कि जल्द ही एक और जत्था दिल्ली का रुख कर सकता है।

काबिलियत मायने नहीं रखता : इरफान

विरोध का झंडा उठाए प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डा. इरफान अंसारी इशारों-इशारों में अपनी तकलीफ बयां कर रहे हैं। उनके ट्वीट पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुटकी ली है। अंसारी का कहना है कि झारखंड में काबिलियत मायने नहीं रखता, लेकिन मैं हार मानने वालों में नहीं हूं। सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त कर डाक्टर बना, सरकारी नौकरी की। नौकरी छोड़कर राजनीति में आया। ख्वाहिश थी कि झारखंड का विकास करूं। पुरानी व्यवस्था को बदलूं, लेकिन पालिटिकल सिस्टम से मैं हार गया।


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