भीमा कोरेगांव हिंसा मामला: स्टेन स्वामी के पक्ष में उतरे झारखंड के CM, कांग्रेसियों ने भी गिरफ्तारी पर जताया विरोध
Jharkhand Political Updates इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष समेत कई कांग्रेस नेता भी स्टेन स्वामी के पक्ष में उतर आए हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
रांची, राज्य ब्यूरो। भीमा कोरेगांव मामले में हिरासत में लिए गए स्टेन स्वामी के पक्ष में झारखंड के मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस के कई नेता उतर आए हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा है कि गरी, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध 'स्टेन स्वामी' को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है? अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद्द? बता दें कि स्टेन स्वामी को एनआइए ने गुरुवार को रांची से गिरफ्तार किया है। इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष समेत कई कांग्रेस नेता भी स्टेन स्वामी के पक्ष में उतर आए हैं।
एक बयान जारी कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने अर्बन नक्सलवाद के नाम पर महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव मामले में फादर स्टेशन स्वामी को हिरासत में लिये जाने की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। डॉ. उरांव ने कहा कि अर्बन नक्सलवाद के नाम पर केंद्र सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले बुद्धिजीवियों को प्रताड़ित करने की कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि फादर स्टेशन स्वामी 25 वर्षां से रांची में रहकर जनजातीय समुदाय के उत्थान में जुटे हैं, अर्बन नक्सलवाद के नाम पर उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने के साथ ही संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को कम किया जा रहा है, इसका परिणाम आने वाले समय में देश की जनता को भुगतना पड़ेगा। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू, आदित्य विक्रम जायसवाल आदि भी स्टेनस्वामी के पक्ष में खुलकर उतरे हैं।
इधर, झाविमो से कांग्रेस में आए बंधु तिर्की ने स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई है। उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि NIA द्वारा रांची से 84 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी अत्यंत निंदनीय है। स्टेन स्वामी दशकों से झारखंड में आदिवासी-मूलवासियों के जन अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे हैं। वे जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के संवैधानिक हक़ के लिए अडिग रहे हैं। वे विस्थापन और कॉरपोरेट द्वारा आदिवासियों के संसाधनों की लूट के विरुद्ध मुखर रहे हैं।
पिछली भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई लैंड बैंक नीति का उन्होंने पुरजोर विरोध किया था। आदिवासी-मूलवासियों की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था–ग्राम सभा–में उनका पूर्ण विश्वास है। स्टेन स्वामी को एक फर्जी केस में फंसा कर परेशान करना और गिरफ्तार करना केंद्र की भाजपा सरकार के एजेंडा को बेनकाब करता है। मोदी सरकार को वैसे सभी लोगों से समस्या है जो आदिवासी-दलित और वंचितों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाते हैं और उसकी जन विरोधी नीतियों पर सवाल करते हैं।