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Mining Lease Case: हेमंत सोरेन व बसंत सोरेन का अब क्या होगा? भारत निर्वाचन आयोग में 12 अगस्त को सुनवाई

Hemant Soren News मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाई विधायक बसंत सोरेन के लिए 12 अगस्त का दिन काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन इनकी सदस्यता पर निर्वाचन आयोग में सुनवाई होनी है। भाजपा की ओर से बहस पूरी कर ली गई है। भाजपा ने सदस्यता रद करने की मांग की है।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 09:58 PM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 10:00 PM (IST)
Mining Lease Case: हेमंत सोरेन व बसंत सोरेन का अब क्या होगा? भारत निर्वाचन आयोग में 12 अगस्त को सुनवाई
Jharkhand News: विधायक बसंत सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामलों की सुनवाई एक ही दिन होगी।

रांची, राज्य ब्यूरो। Mining Lease Allotment Case मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े मामले में अब 12 अगस्त को भारत निर्वाचन आयोग सुनवाई करेगा। सोमवार को इस मामले में भाजपा की ओर से वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह और कुमार हर्ष की ओर से आयोग को बताया गया कि हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ खान मंत्री भी हैं। उन्होंने स्वयं अपने नाम से लीज आवंटित कराया था। ऐसा आज तक नहीं हुआ है कि खान मंत्री ने स्वयं के लिए लीज आवंटित करा लिया है। यह याचिका पूरी तरह से सुनवाई योग्य है और जनप्रतिनिधि कानून की धारा 9 (ए) इनपर लागू होता है। ऐसे में इनकी विधानसभा की सदस्यता रद कर देनी चाहिए।

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इसलिए चुनाव आयोग ने 12 अगस्त को ही बुलाया

इसके जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से कहा गया कि हेमंत सोरेन को लीज आवंटित करने का मामला जनप्रतिनिधि कानून की धारा 9 (ए) के दायरे में नहीं आता है। इस आधार पर उक्त याचिका को खारिज कर देना चाहिए। करीब दो घंटे चली बहस के बाद हेमंत सोरेन की ओर से आयोग से समय देने की मांग की गई। उनकी ओर से तीन सप्ताह का समय दिए जाने की मांग की गई। आयोग ने कहा कि इस मामले में विधायक बसंत सोरेन से जुड़े मामले में 12 अगस्त को सुनवाई निर्धारित है। उसी दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले में भी सुनवाई की तिथि निर्धारित की जा रही है। बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई विधायक बसंत सोरेन की ओर से लीज लिए जाने के खिलाफ भाजपा की ओर से निर्वाचन आयोग में शिकायत की गई है।

पूर्व सीएम रघुवर दास ने मामला किया था उजागर

मालूम हो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड के खान मंत्री भी हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने अपने ही नाम से खनन लीज आवंटित करा लिया है। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रेस कांफ्रेंस कर इसका खुलासा किया था। इसके बाद यह मामला तेजी से सियासी रंग लेता गया। भाजपा नेताओं ने राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर इसकी शिकायत कर दी। राज्यपाल ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए भारत निर्वाचन आयोग से राय मांगी। इसके बाद आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी। मुख्य सचिव ने रिपोर्ट भेजी। चुनाव आयोग लंबे समय से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस मामले की सुनवाई कर रहा है। उधर इस मामले को लेकर शिवशंकर शर्मा नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर दी है। वहां भी इसकी सुनवाई चल रही है।

बसंत पर शपथ पत्र में जानकारी छिपाने का आरोप

उधर, हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन पर भी आरोप है कि उन्होंने चुनावी शपथ पत्र में खनन लीज संबंधित जानकारी छिपाई है। भाजपा ने बसंत सोरेन की भी शिकायत चुनाव आयोग में कर रखी है। भाजपा ने उनकी भी विधानसभा सदस्यता रद करने की मांग की है। चुनाव आयोग बसंत सोरेन के मामले की भी लंबे समय से सुनवाई कर रहा है। माना जा रहा कि दोनो ही मामलों में जल्द ही आयोग कोई न कोई फैसला सुना सकता है। चूंकि भाजपा की ओर से बहस पूरी कर ली गई है, इसलिए अब हेमंत सोरेन के पक्ष की सुनवाई होनी है। झारखंड के लोगों की निगाह लंबे समय से इस मामले पर टिकी हुई है।


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