क्लर्कों को रातोंरात बना दिया इंजीनियर, उजाले वालों की इस अंधेरगर्दी को आप भी जानिए
झारखंड के धनबाद विद्युत आपूर्ति क्षेत्र के महाप्रबंधक सह मुख्य अभियंता प्रतोष कुमार ने क्लर्कों को इंजीनियर का प्रभार दे दिया है। उन्होंने बकायदे इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड के बिजली महकमे में अंधेरगर्दी का सिलसिला जारी है। यहां अधिकारी अपने नियम-कायदे लागू करते हैैं और स्थापित मानक उनके लिए किसी काम के नहीं होते। ऐसा ही वाकया विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, धनबाद में सामने आया है। धनबाद विद्युत आपूर्ति क्षेत्र के महाप्रबंधक सह मुख्य अभियंता प्रतोष कुमार ने क्लर्कों को इंजीनियर का प्रभार दे दिया है। उन्होंने बकायदे इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है।
हवाला धनबाद विद्युत आपूर्ति प्रमंडल में जूनियर इंजीनियरों की भारी कमी का दिया गया है। इसे स्थापना समिति तक की मंजूरी दी गई है। जिन्हें जूनियर इंजीनियर का प्रभार दिया गया है, उसमें कनीय लेखा लिपिक अभिषेक कुमार, विक्रम कुमार सिन्हा, पत्राचार लिपिक प्रमोद कुमार, विद्युतज्ञ महेश कुमार राय और बटन पट चालक-1 अशोक कुमार सिंह शामिल हैैं।
अधिसूचना 25 जनवरी को जारी की गई है और इसमें इनकी तकनीकी डिग्री का भी हवाला दिया गया है। इस बाबत विद्युत आपूर्ति क्षेत्र, धनबाद के महाप्रबंधक सह मुख्य अभियंता प्रतोष कुमार सिंह के मोबाइल नंबर 94311-35800 पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
विरोध किया अभियंता संघ ने
विद्युत डिप्लोमा अभियंता संघ ने क्लर्कों को जूनियर इंजीनियर का प्रभार देने का विरोध किया है। संघ के महामंत्री पीके जायसवाल ने कहा कि धनबाद के महाप्रबंधक ने गलत किया है। उन्होंने आशंका जताई है कि प्रभार देने में बड़े पैमाने पर लेनदेन हुआ है, जिसकी जांच होनी चाहिए। जूनियर इंजीनियर का पद सबस्टेशन से शटडाउन लेने से जुड़ा है।
बिना ट्रेनिंग प्राप्त किए व्यक्ति से तकनीकी कार्य कराना जोखिम से भरा है। इससे दुर्घटना हो सकती है। श्रम आयुक्त भी कार्रवाई कर सकते हैैं। उन्होंने आरोप लगाया कि महाप्रबंधक पूर्व में भी जूनियर इंजीनियरों का भयादोहन करते रहे हैैं। नियम के खिलाफ प्रभार देने के मामले में इनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या कहता है नियम
विद्युत वितरण निगम के एक वरीय अधिकारी के मुताबिक नियमानुसार जूनियर इंजीनियर का प्रभार लिपिक को नहीं दिया जा सकता, भले ही उसके पास तकनीकी योग्यता हो। इसके लिए बिजली वितरण निगम बोर्ड की मंजूरी आवश्यक है। ऐसा करने के लिए नया नियम बनाना होगा।