फर्जी ट्वीट मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को क्लीनचिट
जांच में यह बात भी सामने आई है कि इस मामले से मुख्य सचिव ने खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास को अवगत कराया था।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को एक निजी बैंक अधिकारी की ट्विटर पर की गई फर्जी टिप्पणी के कारण बेवजह विवादों में घिरना पड़ा। जांच में यह बात भी सामने आई है कि इस मामले से मुख्य सचिव ने खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास को अवगत कराया था। मुख्यमंत्री ने तत्काल मामले की गंभीरता को देखते हुए स्पेशल ब्रांच से जांच कराने का आदेश दिया। स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों की टीम ने इस बाबत मुंबई में निजी बैंक के मुख्यालय में जाकर उक्त अधिकारी से पूछताछ की। हर स्तर पर जांच के बाद पाया गया कि पूरा मामला फर्जी था। जिस बैंक अधिकारी के एकाउंट से टिप्पणी की गई उसका एकाउंट हैक हो चुका था।
उन्होंने स्पेशल ब्रांच की टीम को इस बाबत पूरी जानकारी दी। लिखित माफीनामा भी मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को उक्त अधिकारी ने भेजा। जिसमें इस प्रकरण पर गहरा खेद व्यक्त किया गया। जून-2017 के इस प्रकरण ने विधानसभा के बजट सत्र में तूल पकड़ा था। मंत्री सरयू राय ने इस बाबत मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। सदन में मुख्यमंत्री ने स्पेशल ब्रांच से तफ्तीश कराने की जानकारी दी थी। नए सिरे से जांच के बाद यह सामने आया कि पूरा प्रकरण फर्जी था और किसी अनजान शख्स ने मुख्य सचिव को महज विवादों में डालने की नीयत से अफवाह फैलाई।
बिहार की तर्ज पर सेवा विस्तार की चर्चा भी
बिहार सरकार ने मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह को रिटायरमेंट के ऐन पहले सेवा विस्तार दिया है। उन्हें तीन माह का सेवा विस्तार दिया गया है। झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा भी इसी माह रिटायर हो रही हैं। राज्य सरकार उनके परफारमेंस के आधार पर सेवा विस्तार का निर्णय ले सकती है। बिहार में मुख्य सचिव को सेवा विस्तार के बाद इस बाबत राज्य की नौकरशाही में खासी चर्चा है। मंत्री सरयू राय समेत विपक्ष के तमाम दबाव के बावजूद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राजबाला वर्मा पर विश्वास बनाए रखा है। मुख्यमंत्री मोमेंटम झारखंड में निवेश समेत सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने में राजबाला वर्मा का सहयोग सेवा विस्तार कर ले सकते हैं।
अहम पदों पर तैनात रही हैं राजबाला वर्मा
1983 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी राजबाला बिहार-झारखंड में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहीं हैं। कड़क छवि की अधिकारी रहीं राजबाला वर्मा की खासियत मातहत अधिकारियों से निश्चित अवधि में कार्य लेना है। ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग बिहार के बेगूसराय में बतौर एसडीएम हुई। माफिया से निपटने और उग्रवादी संगठनों पर लगाम लगाने की वजह से उन्होंने लोकप्रियता मिली। बिहार से बंटवारे के बाद उन्होंने झारखंड कैडर में अपनी सेवा देने का निर्णय किया।
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