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Jharkhand: झारखंड राज्य के लिए आंदोलन करने वालों को सरकारी नौकरी, 7000 रुपये पेंशन भी...

Jharkhand News झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने बड़ा फैसला लिया है। झारखंड आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों को राज्य गठन के 20 साल बाद सम्मान देते हुए शहीद आंदोलनकारियों के आश्रितों एवं आंदोलन में विकलांग हुए लोगों को सरकारी नौकरी में सीधी भर्ती का एलान किया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 08:47 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 07:11 AM (IST)
Jharkhand News: झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने बड़ा फैसला लिया है।

रांची, जेएनएन। Jharkhand News झारखण्ड राज्य अलग होने के 20 साल बाद अब अलग राज्य निर्माण हेतु आंदोलन करने वाले आंदोलनकारियों को राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती देने का फैसला मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया है। सीधी भर्ती लिए रिटायर्ड भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन भी किया जायेगा। आयोग प्राप्त आवेदनों के आधार पर दस्तावेजों की जांच कर आंदोलनकारियों एवं उनके आश्रितों को चिन्हित करेगा। 

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कौन होंगे लाभुक

राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए नियमानुसार अलग झारखण्ड राज्य की मांग करने वाले शहीद आंदोलनकारियों के आश्रितों को अब सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती दी जाएगी। साथ ही, पुलिस की गोली से घायल 40% तक दिव्यांग हुए आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी इसका लाभ दिया जाएगा। 

आंदोलनकारी/उनके परिवार के एक सदस्य को 7000 तक का मासिक पेंशन

सरकार शहीद परिवार के एक सदस्य को 7000 तक का मासिक पेंशन भी देगी।  इसके अतिरिक्त पुलिस की गोली से 40% तक दिव्यांग हुए शहीद के आश्रितों को भी पेंशन दिया जाएगा। आंदोलन के दौरान कुछ आंदोलनकारियों को कई महीने तक जेल में रातें गुजारनी पड़ी थीं, ऐसे आंदोलनकारियों या उनके परिवार के किसी एक सदस्य को भी इस योजना के तहत पेंशन का लाभ दिया जाएगा। 

सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण का भी लाभ

सरकार ने यह फैसला लिया है कि लाभुकों को सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत तक का क्षैतिज आरक्षण भी दिया जाएगा। इसके तहत सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी नौकरियों में लाभुकों के लिए पात्रता के आधार पर वर्गवार सीटें भी आरक्षित की जाएंगी। 

20 वर्षों तक हमारे अस्तित्व की लड़ाई लड़ने वाले आंदोलनकारियों को नजरंदाज नहीं कर सकते

इस ऐतिहासिक योजना की घोषणा के दौरान बात करते हुए माननीय मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा, “जिस सपने के साथ झारखण्ड आंदोलन में लोगों ने सक्रिय भागिदारी निभाई थी, आज आखिर कोई राज्य उसे कैसे नज़रअंदाज कर सकता है। अपने आंदोलनकारियों के त्याग एवं बलिदान से अस्तित्व में आया कोई राज्य कैसे उन्हें 20 वर्षों तक भूल कर आगे बढ़ सकता है।

आज, इस माध्यम से मुझे बाबा के सहयोगियों एवं उनके साथियों को सम्मानित करने का मौका मिला है और यह मेरे लिए गौरव की बात है। यह सम्मान झारखण्ड द्वारा आंदोलनकारियों को नहीं बल्कि झारखण्ड राज्य का सम्मान है। हम हैं क्योंकि उन्होंने हमारे कल के लिए अपने आज को हमेशा-हमेशा के लिए कुर्बान कर दिया।“


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