बाबूलाल को ज्यादा वक्त नहीं देगी भाजपा, झाविमो प्रमुख को जल्द दूर करने होंगे कील-कांटे
Jharkhand. बाबूलाल को इस बाबत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से सूचना दे दी गई है। भाजपा झारखंड में अपने संगठन को बहुत दिनों तक लटकाना नहीं चाहती।
रांची, राज्य ब्यूरो। झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी को अपनी पार्टी के भीतर के आंतरिक गतिरोध पर जल्द से जल्द काबू पाना होगा। भाजपा उनकी घर वापसी की इच्छुक तो है लेकिन इन्हें बहुत अधिक वक्त नहीं दिया जाएगा। बाबूलाल को इस बाबत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से सूचना दे दी गई है। स्पष्ट है कि भाजपा झारखंड में अपने संगठन को बहुत दिनों तक लटकाना नहीं चाहती। सोमवार को भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्ष के तौर पर विधिवत ताजपोशी हो जाएगी।
इसके बाद उन राज्यों में संगठन का खाका नए सिरे बुना जाएगा जहां संगठन की दृष्टि से चुनाव लंबित हैं। झारखंड में भाजपा की कार्यकारिणी का कार्यकाल अगस्त में ही समाप्त हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने भी विधानसभा चुनाव की हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था, फिलहाल नए अध्यक्ष के कमान संभालने तक उन्हें पद पर बनाए रखा गया है।
जेपी नड्डा के नए अध्यक्ष के रूप में मनोनयन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी कार्यसमिति का गठन किया जाएगा और प्रदेश स्तर पर भी। इस बीच बाबूलाल मरांडी यदि अपनी पार्टी का विधिवत विलय भाजपा में कर लेते हैं तो उनकी संगठन में भूमिका तय करने में आसानी होगी। यदि वे विलंब करते हैं तो भाजपा उनका इंतजार नहीं करेगी, अब यह तकरीबन स्पष्ट हो चुका है। भाजपा के सदन में नेता प्रतिपक्ष का चयन भी करना है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर संजय सेठ का नाम भी उछला
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के नामों की दौड़ में अब संजय सेठ का नाम भी जुड़ गया है। उनके करीबी उनके पक्ष में तर्क भी देेने लगे है। कहा जा रहा है कि राजधानी के सांसद होने के कारण वे संगठन में किसी अन्य के अपेक्षा अधिक वक्त दे सकेंगे। वैसे भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में आधा दर्जन से अधिक दावेदार बताए जा रहे हैं। इनमें पूर्व अध्यक्ष रवींद्र कुमार राय, समीर उरांव, अनंत ओझा, गणेश मिश्र, दीपक प्रकाश व अमर कुमार बाउरी सहित अन्य शामिल हैं। हालांकि ये सभी दावेदार बाबूलाल मरांडी की एंट्री को लेकर बेचैनी महसूस कर रहे हैं। उनकी एंट्री से बहुत कुछ बदलेगा।