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सीएनटी का ही विषय भू-अर्जन विधेयक में : हेमंत

रांची : नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुन‌र्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार औ

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Aug 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 13 Aug 2017 03:00 AM (IST)
सीएनटी का ही विषय भू-अर्जन विधेयक में : हेमंत
सीएनटी का ही विषय भू-अर्जन विधेयक में : हेमंत

रांची : नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुन‌र्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार संशोधन विधेयक, 2017 को सीएनटी-एसपीटी में संशोधन का ही विषय बताया। विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार का व्यापारियों के प्रति अधिक झुकाव है। विकास कार्यो के लिए जमीन लेने में सरकार सामाजिक प्रभाव का मूल्यांकन 24 घंटे में करा सकती है। उन्होंने जनजातीय परामर्शदातृ समिति में इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि समिति की नियमावली ही नहीं बनी है। जहां तक रोजगार की बात है तो यहां एचईसी, कोल इंडिया, बीएसएल ही सही ढंग से काम करने लगे तो रोजगार की कोई दिक्कत नहीं होगी।

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विधेयक पर किसने क्या कहा? :

-यह सीएनटी संशोधन को पिछले दरवाजे से लाने का प्रयास है। कानून में संशोधन ठीक नहीं।

-अमित कुमार महतो, झामुमो।

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- विधेयक में न तो सीएनटी-एसपीटी एक्ट का जिक्र है न ही पी पेसा कानून का। संघात्मक कानून होने के नाते हम इसमें संशोधन नहीं कर सकते।

-दीपक बिरूआ, झामुमो।

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- सामाजिक प्रभाव के मूल्यांकन में पहले काफी समय लगता था, जिससे विकास कार्य प्रभावित होते थे। विपक्ष का भय बेकार है। यह उद्योगपतियों को जमीन देने के लिए नहीं स्कूल, अस्पताल के लिए है।

-विरंची नारायण, भाजपा।

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-सामाजिक प्रभाव के मूल्यांकन के लिए अच्छी एजेंसी का चयन किया जा सकता है। इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता नहीं।

-कुणाल षाड़ंगी, झामुमो।

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