1987 करोड़ की अनुपूरक अनुदान मांगों को सदन की स्वीकृति
रांची : सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चली लंबी बहस के बाद झारखंड विधानसभा ने 1987.74 करोड़ क
रांची : सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चली लंबी बहस के बाद झारखंड विधानसभा ने 1987.74 करोड़ की प्रथम अनुपूरक अनुदान मांगों को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। विपक्ष की ओर से माले विधायक राजकुमार यादव ने कटौती प्रस्ताव पेश किया जो ध्वनिमत से गिर गया। अनुपूरक बजट के पक्ष में सत्ता पक्ष के विधायकों ने तर्क दिए वहीं, विपक्ष ने इसे गैर जरूरी बताया।
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इन्होंने यह कहा :
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विपक्ष :
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राज्य में संसाधन कम नहीं है, कमी इच्छाशक्ति की है। अधिकारियों में जनता के प्रति मानवीय संवेदना नहीं है। अनुपूरक में सबसे अधिक प्रावधान स्वास्थ्य विभाग (434 करोड़ रुपये) के लिए किया गया है। जबकि राज्य में स्वास्थ्य की स्थिति चरमराई हुई है। राज्य में लोगों को शुद्ध पानी तक नहीं मिल रहा है। थानेदार मुद्रामोचन में लगे हैं। मनरेगा मजदूरों की मजदूरी बढ़नी चाहिए।
- राजकुमार यादव, माले विधायक।
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सरकार 1987 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट लेकर आई है जबकि सरकार के महत्वपूर्ण विभाग राशि खर्च तक नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीण कार्य विभाग में 27 फीसद राशि खर्च हुई है, पशुपालन में चार तो उद्योग में 3.6 प्रतिशत। कृषि का भारी भरकम बजट है लेकिन अब तक महज 74 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं। सरकार का वित्तीय प्रबंधन खराब है। एजी की रिपोर्ट बताती है कि 5421 करोड़ का हिसाब तक नहीं मिल रहा है।
- जगरनाथ महतो, झामुमो विधायक।
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सरकार दिसंबर में अगले साल का बजट पेश करने का मन बना रही है। अब तक बजट की महज 22 फीसद राशि खर्च हुई है। शेष चार माह में 78 प्रतिशत राशि कैसे खर्च होगी? जाहिर है मार्च लूट की तरह दिसंबर लूट की तैयारी है। सरकार स्मार्ट सिटी पर जोर दे रही है, स्मार्ट विलेज कब बनेंगे? बिजली और पानी की उपलब्धता को राइट टू सर्विस एक्ट के दायरे में लाया जाना चाहिए। सोशल मीडिया की मॉनीट¨रग के लिए सरकार पालिसी बनाए। इससे अघोषित गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो रही है।
-कुणाल षांडगी, झामुमो विधायक।
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अनुपूरक अनुदान मांगें 2017-18 के लिए लाई गई हैं। जबकि सरकार ने वित्तीय वर्ष जनवरी से दिसंबर तक करने की बात कही है। सही क्या है सरकार स्पष्ट करे। बजट में पथ निर्माण की कोई डिमांड नहीं है जबकि राज्य में सड़कों की जरूरत है। पलामू के विकास के लिए स्पेशल पैकेज दिया जाना चाहिए। पलामू के विकास के लिए स्पेशल पैकेज देने के मामले पर रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी गई थी। जीएसटी के कारण बढ़ती लागत को देखते हुए विधायक निधि की राशि को बढ़ाकर दस करोड़ किया जाए।
- भानु प्रताप शाही, नौजवान संघर्ष मोर्चा।
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सरकार की योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिल रहा है। किसानों के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है। पिछले 2.5 सालों में पांच हजार हत्याएं हुई हैं। बालू संकट बढ़ता जा रहा है। माइंस के लिए एनओसी तक नहीं मिल रहा है।
- आलमगीर आलम, कांग्रेस विधायक दल के नेता।
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सत्ता पक्ष :
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राज्य का वित्तीय प्रबंधन कुशल है। चार माह में 17096 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो कि कुल बजट का 23 प्रतिशत है। राजस्व संग्रह में भी सुधार आया है। पिछले चार माह में 9738 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ है जो कि कुल लक्ष्य 28409 करोड़ के एक तिहाई से अधिक है।
-राधाकृष्ण किशोर, भाजपा विधायक।
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कटौती प्रस्ताव क्यों आ रहा है, यह समझ से परे है। सरकार आम लोगों को लेकर चिंतित है। 70 साल में महज तीन मेडिकल कालेज खुले थे, जबकि पिछले दो सालों के कार्यकाल में तीन नए मेडिकल कालेज की स्वीकृति दी गई है। माडा कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा था। सरकार ने इस अनुपूरक में उनके वेतन के लिए राशि उपलब्ध कराई है।
- राज सिन्हा, भाजपा विधायक।
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बालू की किल्लत को लेकर स्वर उठ रहे हैं। सभी सदस्यों को यह जानना चाहिए कि बालू को राज्य सरकार ने नहीं बल्कि एनजीटी ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए रोका है।
- मनीष जायसवाल, भाजपा विधायक।
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