सीएम के आदेश पर हुई जांच, प्राथमिकी का आदेश मंत्रिमंडल निगरानी ने लटकाया
रांची मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सख्त आदेश के बाद ज्रेडा (झारखंड रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) के जिस पूर्व निदेशक निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी ने महज दस दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी उसमें प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश के लिए दो महीने से इंतजार करना पड़ रहा है।
रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सख्त आदेश के बाद ज्रेडा (झारखंड रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) के जिस पूर्व निदेशक निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी ने महज दस दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, उसमें प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश के लिए दो महीने से इंतजार करना पड़ रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश मंत्रिमंडल निगरानी को देना है और उक्त फाइल को अब तक मंत्रिमंडल निगरानी ने लटकाए रखा है।
ज्रेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार सरकारी नियमों को ताक पर रखकर नौकरी करने, सरकारी खातों से 170 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान करने सहित कई गंभीर मामलों में फंसे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद एसीबी ने प्रारंभिक जांच में उनके विरुद्ध लगे आरोपों को सत्य पाया था। निरंजन कुमार भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के वरीय पदाधिकारी हैं। जांच में पता चला था कि निरंजन कुमार ने जाली बैंक गारंटी के बावजूद हैदराबाद की कंपनी को गलत तरीके से टेंडर दिया और उस फाइल को दबाए रखा। वर्ष 2019 में जब नए निदेशक अशोक कुमार ने पदभार ग्रहण किया, तो इसका खुलासा हुआ। इसके बाद रांची के डोरंडा थाने में कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं, जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्रेडा के लिए कोई आइएएस, आइएफएस या टेक्निकल अफसर ही निदेशक बनने योग्य है, इसके बावजूद निरंजन कुमार बिना योग्यता के पहले निदेशक बने।
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