रांची में मिला जापानी इंसेफ्लाइटिस का मरीज, लक्षण दिखे तो रहें अलर्ट
कोविड और ब्लैक फंगस से लोग बचने के तरीके अपना रहे हैं। लेकिन अब पुरानी बीमारी जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीज मिलने शुरू हो गए हैं। राजधानी स्थित रिम्स में पुरुलिया का रहने वाला एक 19 वर्षीय मरीज भर्ती हुआ है।
रांची, जासं । कोविड और ब्लैक फंगस से लोग बचने के तरीके अपना रहे हैं। लेकिन अब पुरानी बीमारी जापानी इंसेफेलाइटिस के मरीज मिलने शुरू हो गए हैं। राजधानी स्थित रिम्स में पुरुलिया का रहने वाला एक 19 वर्षीय मरीज भर्ती हुआ है। बताया जा रहा है कि इस वर्ष यह राज्य का पहला इंसेफेलाइटिस का मरीज है। मरीज को डा संजय सिंह के वार्ड में भर्ती किया गया है। डा संजय ने जापानी इंसेफेलाइटिस होने की पुष्टि की है। पुष्टि होने के बाद संजय सिंह के यूनिट में ही इलाज चल रहा है।
करीब सात दिन पहले मरीज को तेज बुखार और वायरल की शिकायत के बाद रिम्स लाया गया था। पांच दिनों तक कई तरह की जांच में बीमारी पकड़ में नहीं आने के बाद डॉक्टरों ने जापानी इंसेफेलाइटिस का टेस्ट कराया, जिसमें रिर्पोट पॉजिटिव मिली है। डॉ संजय सिंह ने कहा कि बुखार नियंत्रित नहीं होने के बाद मरीज की मलेरिया, डेंगू समेत कई वायरल संक्रमण की जांच करायी गई है। लेकिन किसी संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई। मरीज की स्थिति बिगड़ता देख जापानी इंसेफेलाइटिस की जांच करायी गयी थी। संजय सिंह ने कहा कि वायरल में बीमारी पकड़ में नहीं आने के बाद जापानी इंसेफेलाइटिस की जांच करायी गई। उन्होंने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है। इसलिए मच्छरों से अपने आप को बचा कर रखना चाहिए।
संक्रामक बीमारी नहीं है जापानी इंसेफेलाइटिस
जापानी इंसेफेलाइटिस संक्रामक बुखार नहीं है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। यह बीमारी मच्छरों के काटने से फैलता है। चिकित्सकों के अनुसार, बुखार का पता मच्छर के काटने के 5 से 15 दिनों में दिखाई देने लगता है। जापानी इंसेफेलाइटिस बीमारी से जानवर भी प्रभावित होते हैं।
ये हैं लक्षण
तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, घबराहट, भ्रम होना, ठंड के साथ-साथ कंपकंपी आना, उलटी होना। कई बार गंभीर परिस्थतियों में मरीज को लकवा भी मार जाता है।
टीकाकरण में रांची है पीछे
जेई1 और जेई 2 (जापानी इनसेफेलाइटिस 2) टीकाकरण में पीछे हैं। दोनों टीकाकरण में रांची ने 50 प्रतिशत के लक्ष्य को भी पूरा नहीं किया है। बता दें कि जेई 1 का टीका 9 से 12 माह के बच्चे और जेई 2 का टीका 12 से 24 माह के बच्चे को लगता है।