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जन के बीच पहुंचे जगन्नाथ, दर्शन को उमड़ा सैलाब

आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। भगवान का दर्शन करने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। 12 जुलाई को भगवान वापस अपने घर पहुंचेंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 04:47 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 06:34 AM (IST)
जन के बीच पहुंचे जगन्नाथ, दर्शन को उमड़ा सैलाब

जागरण संवाददाता, रांची : आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ के दर्शन को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भगवान के रथ का रस्सा खींचने के लिए भक्तों में होड़ मची रही। शाम पांच बजे जय जगन्नाथ के जयकारे के बीच मौसीबाड़ी जाने के लिए रथ खींचने का काम शुरू हुआ। भक्तों की भीड़ इतनी थी कि आधा किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग दो घंटे से ज्यादा समय लग गया। करीब सात बजे प्रभु का रथ मौसीबाड़ी पहुंचा। स्वागत वंदना के उपरांत भगवान को मौसीबाड़ी में प्रवेश कराया गया। इससे पूर्व लाक्ष्यार्चना पूजा में सीएम रघुवर दास, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। पुरुष धोती में एवं महिलाएं पारंपरिक साड़ी में पूजा में शामिल हुई। सामूहिक श्रीविष्णु सहस्त्रनामार्चना का जाप किया गया। इसके बाद महाआरती हुई। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ से सुख-समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने स्वयं रथ का रस्सा खींच कर भगवान को विदा किया। मौके पर उन्होंने झारखंडवासियों को रथयात्रा की शुभकामनाएं दी।

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12 जुलाई शुक्रवार को हरिशयनी एकादशी तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने धाम लौटेंगे। इस दौरान मौसीबाड़ी में ही भगवान की नियमित पूजा अर्चना होगी। दर्शन के लिए मौसीबाड़ी में श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी। भगवान का यहां पर उत्तम सत्कार किया जाएगा। प्रत्येक दिन अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। भक्तों को स्वयं दर्शन देने पहुंचते हैं भगवान

मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रजभूषण नाथ मिश्रा के अनुसार प्रत्येक साल आषाढ़ द्वितीया तिथि को विष्णु रूप भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ आम जन के बीच उनका दुख-दर्द का निवारण करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि जो भक्त किसी कारण से भगवान का दर्शन करने मंदिर नहीं पहुंच पाते हैं, ऐसे भक्तों को दर्शन देने भगवान स्वयं जन के बीच जाते हैं। अपने भक्तों की दशा देखते हैं और उनका कष्ट हरते हैं। यह परंपरा जगन्नाथ पुरी से आरंभ हुई।

पट खुलने से पहले ही सैकड़ों लोग कतार में लग गए थे

रथयात्रा पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन को प्रात: चार बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी। रांची एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु पट खुलने से पहले ही पंक्तिबद्ध हो गए थे। सुबह पांच बजे प्रथम पूजा के बाद मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। श्रद्धालुओं ने फूल, अक्षत, चंदन आदि से भगवान की पूजा की। दीये जलाये। मनोवांछित फल मांगा। दोपहर दो बजे तक मंदिर में दर्शन हुआ। भीड़ को देखते हुए महिला-पुरुष के लिए अलग-अलग प्रवेश व निकास द्वार बनाए गए थे। अपराह्न दो बजे के बाद भगवान के विग्रहों को रथारूढ़ कराया गया। इसके बाद लाक्ष्यार्चना पूजा शुरू हुई जो शाम 4.30 बजे तक चली।


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