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JAC 10th, 12th Result 2021: 10वीं व 12वीं का रिजल्ट जारी करने को लेकर JAC के प्रस्ताव पर विभाग सहमत, CM से विभाग ले रहा अंतिम सहमति

JAC 10th 12th Result 2021 दसवीं एवं बारहवीं के परिणाम जारी करने को लेकर झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा तैयार मॉड्यूल प्रस्ताव पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग सहमत है। इसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अंतिम स्वीकृति ली जा रही है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 02:40 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 02:59 PM (IST)
JAC 10th, 12th Result 2021: 10वीं व 12वीं का रिजल्ट जारी करने को लेकर JAC के प्रस्ताव पर विभाग सहमत, CM से विभाग ले रहा अंतिम सहमति
10वीं व 12वीं का रिजल्ट जारी करने को लेकर JAC के प्रस्ताव पर विभाग सहमत। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। दसवीं एवं बारहवीं के परिणाम जारी करने को लेकर झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा तैयार मॉड्यूल प्रस्ताव पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग सहमत है। इसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अंतिम स्वीकृति ली जा रही है। उनकी स्वीकृति मिलने के बाद जैक को इस संबंध में औपचारिक पत्र भेज दिया जाएगा।

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हालांकि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने पहले ही उक्त माॅड्यूल के आधार पर रिजल्ट तैयार करने को लेकर आवश्यक तैयारी करने का मौखिक निर्देश जैक के पदाधिकारियों को दे दिया गया है। बता दें कि जैक द्वरा तैयार मॉड्यूल के अनुसार, दसवीं के रिजल्ट का आधार नौवीं तथा 12वीं का का आधार 11वीं की परीक्षा में विद्यार्थियों को मिले अंक होगा। विभाग ने इसपर पहले ही निर्णय ले लिया था।

दसवीं के रिजल्ट में 80 प्रतिशत अंक नौवीं से तथा 20 प्रतिशत दसवीं के प्रैक्टिकल से लिए जाएंगे। जिस विषय में प्रैक्टिकल नहीं होता है, उनमें आंतरिक मूल्यांकन से अंक दिए जाएंगे। इसी तरह 12वीं में प्रैक्टिकल वाले विषयों में 70 प्रतिशत अंक 11वीं से तथा 30 प्रतिशत प्रैक्टिकल के होंगे। बिना प्रैक्टिकल वाले विषयों में 80 प्रतिशत अंक 11वीं से व 20 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन से होंगे।

कॉलेज शिक्षक बनने के लिए पीएचडी के फैसले पर पुनर्विचार करे सरकार

पूर्व शिक्षा मंत्री सह विधायक बंधु तिर्की ने कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए पीएचडी अनिवार्य करने को लेकर कैबिनेट के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने यह कहते हुए इसपर पुनर्विचार करने की मांग की है कि इससे आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी नियुक्ति से वंचित हो जाएंगे।

बंधु ने कहा है कि एक तरफ विश्वविद्यालय के सत्र नियमित नहीं रहते और एम0ए0 की डिग्री लेने में कई वर्ष लग जाते हैं, वहीं पीएचडी की डिग्री लेने में चार से पांच वर्ष लग जाते हैं। पीएचडी करने मं लाखों रुपए खर्च होते हैं। उन्होंने पूर्व की तरह नेट के आधार पर नियुक्ति की वकालत की है। उनके अनुसार, देश के कई शिक्षक संगठन भी यूजीसी 2018 की उस नियमावली पर आपत्ति दर्ज करा चुके हैं, जिसके तहत पीएचडी अनिवार्य किया गया है।


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