झारखंड की नौकरियों में बढ़ी बाहरी की मुश्किलें
झारखंड की नौकरियो पर निगाह लगाए दूसरे राज्यो के लोगो को अब कई चेकपोस्ट से गुजरना होगा। राज्य सरकार द्वारा लिए गए कुछ अहम फैसलो
रांची : झारखंड की नौकरियो पर निगाह लगाए दूसरे राज्यो के लोगों को अब कई चेकपोस्ट से गुजरना होगा। राज्य सरकार द्वारा लिए गए कुछ अहम फैसलों ने स्थानीय लोगो के लिए जहां रोजगार की राह आसान की है वही, बाहरी लोगो की झारखंड की इंट्री मुश्किल कर दी है।
राज्य की सिविल सेवा परीक्षा मे बाहरी लोगो के वर्चस्व को समाप्त करने के लिए मुख्य परीक्षा मे भाषा एवं साहित्य के पत्र मे जनजातीय भाषाओ को भी शामिल करते हुए इस पत्र के प्रश्नो की संख्या सौ से बढ़ाकर दो सौ कर दी है। जानकार बताते है कि इसका लाभ निश्चित रूप से जनजातीय भाषाओ के जानकार स्थानीय लोगो को अधिक मिलेगा। इसके अलावा इस परीक्षा मे सामान्य अध्ययन के पत्र मे पूछे जाने वाले प्रश्नो मे बड़ी संख्या मे झारखंड से संबंधित प्रश्नो का शामिल कर बाहरी लोगो के लिए पेच फंसाया है।
दूसरी ओर कर्मचारी चयन आयोग की विभिन्न परीक्षा मे जहां पहले भाषा एवं साहित्य के पत्र मे जनजातीय भाषाओ को हटा दिया गया था वही अब इसे दोबारा शामिल किया गया है। स्थानीय अभ्यर्थी अब हिंदी-अंग्रेजी के बजाय जनजातीय भाषा का विकल्प दे सकते है, जो कि उनके लिए कही ज्यादा सुगम होगा। जानकार यह भी कहते है कि जनजातीय भाषाओ के सिलेबस छोटे और सरल होने का लाभ यहां के लोगों को निश्चित तौर पर मिलेगा। इन परीक्षाओ मे भी सामान्य अध्ययन के पत्र मे झारखंड से संबंधित बड़ी संख्या में प्रश्न पूछे जाएंगे। बता दे कि अधिकारी वर्ग की इन परीक्षाओ मे झारखंड के अपेक्षा अन्य राज्यो के छात्र बाजी मार ले जाते थे, लेकिन अब उनकी राह कांटो भरी हो गई है।
इधर, सरकार ने शिक्षको, आरक्षी, चौकीदार, वनरक्षी, जनसेवक, एएनएम और पंचायत सचिव आदि पदों को जिला स्तरीय पद घोषित कर दिया है जिससे इन पदो पर अब सिर्फ उन जिलो के स्थानीय लोगो की ही नियुक्ति हो सकेगी। अब इन पदो पर किसी भी हाल मे दूसरे राज्यो के अभ्यर्थी चयनित नही हो सकेगे। दूसरी, ओर अधिसूचित क्षेत्रो मे तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग पर होने वाली बहाली अगले दस वर्षो के लिए उस जिले के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित कर दी है।