आईपीएस प्रवीण सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा रांची एयरपोर्ट
प्रवीण सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा रांची एयरपोर्ट, दिल्ली के मैक्स अस्पताल में ली थी आखिरी सांस
जागरण संवाददाता, रांची : दिवंगत प्रवीण सिंह का पार्थिव शरीर सोमवार को रांची एयरपोर्ट पर लाया गया जिसे देखकर राची एसएसपी सहित कई पुलिसकर्मी भावुक हुए और उनके आखों से आसू छलक पड़े।
डीआईजी प्रवीण ने मैक्स हॉस्पिटल में ली अंतिम सांस :
1998 बैच के आईपीएस प्रवीण कुमार सिंह का रविवार को दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में निधन हो गया। वह पिछले कई महीनों से बीमारी से जूझ रहे थे। उन्हें गंभीर बीमारी हुई थी। प्रवीण कुमार रांची के एसएसपी रहते हुए कई बार शहर को जलने से बचाया था। वह रांची के एसएसपी और डीआईजी रह चुके है। प्रवीण मूलरूप से समस्तीपुर जिला के रहने वाले थे। झारखंड में नक्सलियों और कुख्यात अपराधियों के जेहन में प्रवीण सिंह का खौफ था। नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई के लिए भी जाने जाते थे। एसएसपी के पद पर रहते हुए प्रवीण सिंह ने तीन बार राची को दंगे की आग में जलने से बचाया था। ऐसे कई कारणों से विरोधी भी कई बार उनकी तारीफ करते थे।
अशांत रांची को शांत करने का जिम्मा मिला था प्रवीण को
रांची अशांत हो गई थी। खून-खराबे चरम पर थे। दूसरे राज्य व दूसरे जिलों के कुख्यात अपराधी भी रांची में आकर घटनाओं को अंजाम देकर निकल जाते थे। उस विषम परिस्थिति में अशांत रांची के लिए आईपीएस प्रवीण कुमार वरदान बनकर आए थे। एक मार्च 2009 को प्रवीण सिंह रांची में एसएसपी के पद पर योगदान दिए थे। उस समय अंतर जिला दारोगा-इंस्पेक्टर की ट्रांसफर पोस्टिंग हो गई थी। जैसे उनके लिए रांची नया था, वैसे ही रांची में योगदान देने वाले दारोगा, इंस्पेक्टर, डीएसपी व एसपी के लिए भी। उस परिस्थिति में रांची को संभालना एक चुनौती थी। इस चुनौती को अपनी दिलेरी और कड़ी मेहनत से प्रवीण ने साबित कर दिखाया था। कभी अपराधियों की खौफ से त्राहि-त्राहि करने वाली रांची की जनता व व्यवसायी को चैन की सांस लेने लगी थी।
कई बड़े मामलों का खुलासा किया था प्रवीण ने
- रांची पुलिस की तकनीक नील थी, उसे संभालने का प्रयास किया। टेक्नीकल सेल समृद्ध किया और मिलने लगी ताबड़तोड़ सफलता।
- व्यवसायी राजू धानुका हत्याकांड का उद्भेदन, सोनू, साहिल उर्फ एंडरसन की गिरफ्तारी हुई।
- होटल कैपिटोल हिल के मालिक के बेटे लव भाटिया के अपहरण के 24 घंटे के भीतर सकुशल खोजा। अपहर्ताओं से मुठभेड़ तीन को किया ढेर, चार गिरफ्तार, हथियारों का जखीरा मिला।
- नक्सल क्षेत्रों में मूवमेंट तेज किया। दर्जनभर नक्सलियों को मुठभेड़ में मारा, 18 नक्सलियों ने सरेंडर किया, दो सौ से अधिक गिरफ्तार किए गए।
- बचे हार्डकोर नक्सली भी जिला छोड़कर भागे।
- खलारी-बुढ़मू से पीएलएफआइ का सफाया।
1998 बैच के आईपीएस
- बेड़ो-लापुंग में पीएलएफआइ को किया कमजोर।
- बुढ़मू, मांडर, खलारी, चान्हो से टीपीसी का किया खात्मा।
- जेल या अन्य जगह के अपराधियों में भी मोबाइल पर बात करने में होने लगा खौफ।
कुख्यात, जिन्हें बता दी थी औकात
- रंगदारी, लेवी व हत्या मामला :
भोला पांडेय (मारे गए), किशोर पांडेय (कोलकाता में पकड़ाया), धनंजय प्रधान, संदीप थापा, सुरेंद्र बंगाली, लखन सिंह, चंदन सोनार, अशोक शर्मा, पांडेय गिरोह की लेडी डॉन (अलकापुरी से हथियारों संग पकड़ाई थी)।
- डकैती, लूट मामला :
अनूप श्रीवास्तव, सुधीर टोप्पो, निक्की शर्मा
- मुठभेड़ में जिन नक्सलियों को मारा :
घासीराम मुंडा उर्फ घसिया (बारूहातू, बुंडू), राजेश टोप्पो (जरगा, अनगड़ा), किशोर मुंडा उर्फ राजकिशोर मुंडा (बारूहातू, बुंडू), बिरजू राम (चाल्हा मोड़, लापुंग), अशोक सिंह उर्फ अशोक सोय उर्फ अशोक शाहदेव (कर्रा), एतवा मुंडा (पपिरदा, तमाड़), राजेश मुंडा (पपिरदा, तमाड़), ढेबू यादव (सरायटोली, चान्हो)
- जिन नक्सलियों को आत्मसमर्पण को विवश किया :
स रेश मुंडा (सारजमडीह, बुंडू), मार्शल टूटी (होशिरहातू, बुंडू), संजय प्रमाणिक (डुंगरडीह, तमाड़), चांद महतो (एदलपीड़ी, तमाड़), एतवा मुंडा (बारीडीह, तमाड़), भोला पाल (तिरिलडीह, बुंडू), सीताराम मुंडा (बारीडीह, तमाड़), त्रिलोचन सिंह मुंडा (झुनकीडीह, तमाड़), सुनीता कुमारी (गरुड़पीड़ी, नामकुम), हरिपदो सिंह मुंडा (सारजमडीह, बुंडू), अर्जुन सिंह मुंडा (रामडेरा, अनगड़ा), राम लोहरा (हुआंगहातू), सुखराम सिंह मुंडा (हुआंगहातू), गीता गंझू (हाहे, खलारी), रेशमी महली उर्फ राशमुनी महली (तिरिलडीह, बुंडू), मधु मुंडा उर्फ रोहित (हुंगटा, बुंडू), संजय सिंह मुंडा उर्फ दीपक उर्फ निशांत, सुखराम लोहरा (रैदा, बुंडू)।