Inspiration: अभ्रक चुनने वाला झारखंड का बड़कू दक्षिण अफ्रीका में बाल मजदूरी खत्म करने की उठा रहा आवाज
International Labor Conference बालश्रम को पूरी तरह से खत्म करने के उद्देश्य से दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का 5वां सम्मेलन शुरू हुआ। जिसमें अभ्रक चुनने वाला झारखंड का बड़कू बाल मजदूरी खत्म करने के लिए आवाज उठाया।
रांची, जासं। International Labor Conference बालश्रम को पूरी तरह से खत्म करने के उद्देश्य से दक्षिण अफ्रीका के डरबन शहर में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का 5वां सम्मेलन शुरू हुआ। इसमें 2025 तक बालश्रम के खात्मे का लक्ष्य रखा गया है। सम्मेलन में बाल मजदूरी करने वाले भारत के बच्चे भी अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। भारत से 4 बच्चे इस सम्मेलन में शामिल हुए हैं। जिनमें झारखंड से संथाल आदिवासी बड़कू मरांडी, राजस्थान के अति पिछड़े बंजारा समुदाय से आने वाली तारा और अमर लाल, राजेश जाटव शामिल हैं।
बड़कू ने बताया कि यहां 12 देशों के 60 बच्चे आए हुए हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन में कहा कि बच्चों को शिक्षा पाने का हक है, उनसे बाल मजदूरी नहीं कराना चाहिए। ट्रैफिकिंग की समस्या झारखंड में बढ़ती जा रही है। यहां से बच्चों का पलायन हो रहा है, उसे रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए।
बड़कू ने कहा कि गिरिडीह में अपने गांव के आसपास के बच्चे जो मजदूरी करते हैं, उनके माता-पिता को समझाकर स्कूल में दाखिला कराया जा रहा है। स्कूल ड्रेस, किताबें तो मिल जाती हैं, पर कापी कलम भी खरीदकर देते हैं।
बाल पंचायत में मुखिया बन लोगों को कर रहे जागरूक
बड़कू मरांडी अग्रवाल हाई स्कूल तिसरी, गिरिडीह में इंटर में पढ़ते हैं। जब वे 5-6 साल के थे, तभी उसके पिता गुजर गए। वह अपनी मां राजीना किस्कू व भाई के साथ ढिबरा (अभ्रक) चुनने का काम करने लगे। साल 2013 में काम करने के दौरान खदान में एक हादसा हो गया। मिट्टी के नीचे दबने के कारण दो लोगों की मौत हो गई, जबकि बड़कू की एक आंख में गंभीर चोट आ गई।
सितंबर 2013 में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन ने बड़कू स्कूल में दाखिला करवा दिया। वह अपने परिवार का पहला और गांव के उन चुनिंदा लोगों में से है, जिन्होंने 10वीं पास की है। यहां बाल पंचायत का चुनाव होने पर बड़कू को पंचायत का मुखिया चुना गया।