झारखंड चैंबर ने कहा, बिजली शुल्क दर में असामान्य वृद्धि से बंदी के कगार पर पहुंच जाएंगे उद्योग
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की दरों में की गई असामान्य वृद्धि से होने से राज्य के उद्यमियों को बड़ी परेशानी हो रही है। हालांकि उद्यमियों का कहना है कि बढी हुई दरें अव्यवहारिक हैं तथा इससे उपभोक्ता प्रभावित होंगे। इस पर चर्चा की गई।
रांची(जासं) : इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की दरों में की गई असामान्य वृद्धि से होने से राज्य के उद्यमियों को बड़ी परेशानी हो रही है। हालांकि उद्यमियों का कहना है कि बढी हुई दरें अव्यवहारिक हैं तथा इससे उपभोक्ता प्रभावित होंगे। चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि पूर्व की इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की दर एवं वर्तमान दर की तुलना करें तो यह स्पष्ट है कि बढी हुई दरें असामान्य रूप से काफी अधिक हैं। ज्यादा से ज्यादा निवेश के लिए राज्य सरकार द्वारा निवेशकों को झारखंड में निवेश के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। किंतु वहीं दूसरी तरफ विद्युत शुल्क में 10 से 17 गुना की असामान्य वृद्धि किया जा रहा है।
ऐसे में झारखंड में कोई कैसे नया उद्योग लगायेगा। विद्युत शुल्क में इस तरह की असामान्य वृद्धि किसी भी प्रकार से तर्कसंगत नहीं है। पावर प्लांट जेनरेटर के लिए कोई इलेक्ट्रिसिटी चार्ज फिक्स नहीं है, ऐसे उपभोक्ता विद्युत शुल्क की गणना कर ही नहीं सकते हैं। वर्तमान विद्युत शुल्क में बढोत्तरी की गणना उपभोक्ताओं के द्वारा प्रतिशत में की जानी है, जबकि पूर्व में इसका निर्धारण प्रति यूनिट होता था और उपभोक्ता को भुगतान करने में कठिनाई नहीं होती थी।उन्होंने कि रेगुलेटरी कमिशन द्वारा प्रत्येक वर्ष एनर्जी चार्ज में वृद्धि की जाती है परिणामस्वरूप इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की देय राशि स्वतः बढ़ जाती है, ऐसे में वर्तमान बढोतरी झारखंड सरकार को तुरंत वापस लेनी चाहिए। झारखंड में विभिन्न प्रकार के लाईसेंस उपभोक्ताओं को लेने पडते हैं जिनमें तरह-तरह की ड्यूटी एप्लीकेबल है जिन्हें उपभोक्ताओं को भुगतान भी करना पडता है, ऐसे में विद्युत शुल्क में वर्तमान बढोतरी अव्यवहारिक है। सरकार को इसपर तत्काल विचार करना चाहिए।
क्य़ा है सरकार का आदेश : झारखंड सरकार के गजट नोटिफिकेशन 7 जुलाई 2021 के द्वारा झारखंड इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी एक्ट में संशोधन कर झारखंड इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी (अमेंडमेंट) एक्ट 2021 का प्रकाशन किया गया। आम उपभोक्ताओं के लिए जो पूर्व में 20/24 पैसा प्रति यूनिट लगता था, अब 30 पैसा प्रति यूनिट कर दिया गया है। इसी प्रकार औद्योगिक उपभोक्ता (10 एमवीए कनेक्टेड लोड तक) जो पूर्व में 5 पैसा प्रति यूनिट लगता था, अब एनर्जी चार्ज पर 8 प्रतिशत लगेगा। विदित हो कि वर्तमान एनर्जी चार्ज 5.75 पैसा लगता है जिसमें विद्युत शुल्क की देय राशि 0.46 प्रति यूनिट होगी अर्थात इसमें पूर्व की दर से 10 गुणा वृद्धि। औद्योगिक उपभोक्ता के लिए (10 एमवीए कनेक्टेड लोड से उपर) जो पूर्व में 5 पैसा प्रति यूनिट था, अब एनर्जी चार्ज पर 15 प्रतिशत तक कर दिया गया है।
रेगुलेटरी कमीशन द्वारा प्रत्येक वर्ष एनर्जी चार्ज में वृद्धि की जाती है परिणामस्वरूप इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की देय राशि स्वतः बढ़ जाती है, ऐसे में वर्तमान बढोत्तरी झारखंड सरकार को तुरंत वापस लेनी चाहिए। झारखंड में विभिन्न प्रकार के लाइसेंस उपभोक्ताओं को लेने पडते हैं जिनमें तरह-तरह की ड्यूटी एप्लीकेबल है जिन्हें उपभोक्ताओं को भुगतान भी करना पडता है, ऐसे में विद्युत शुल्क में वर्तमान बढोत्तरी अव्यवहारिक है। सरकार को इसपर तत्काल विचार करना चाहिए।
-एन.के पाटोदिया, चेयरमैन, चैंबर एनर्जी उप समिति
बिना गुणवत्तापूर्ण बिजली दिये, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में अतिरिक्त बढोतरी अनुचित है। जेबीवीएनएल अपने घाटे को कम करने के लिए अपनी एफिसियेंसी बढाये, बिजली चोरी रोके, मैनपावर बढाये और उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराये तब तो बात बने। राज्य में पावरकट का सिलसिला थम नहीं रहा, ऐसे में उपभोक्ताओं पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी का अतिरिक्त भार देना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है।
-बिकास सिंह, पूर्व अध्यक्ष, एफजेसीसीआइ