Hindalco Accident: औद्योगिक कचरे के ढेर पर खड़ा है झारखंड, इंडस्ट्रीज में ओवर बर्डन का पहाड़
Industrial Waste Dumping. रामगढ़ में कोयला खनन करने वाली कंपनियां सीसीएल व टिस्को के दर्जनों स्थानों पर ओवर बर्डन है। इसने कचरों के ढेर यानी कृत्रिम पहाड़ का रूप ले रखा है।
रांची, जेएनएन। हिंडाल्को में मंगलवार को औद्योगिक कचरा खेतों में पसरकर मुसीबत का सबब बन गया। कुछ इसी तरह का कचरों का ढेर कई जिलों में पहाड़ का रूप ले चुका है। धनबाद, रामगढ़, पलामू में कंपनियों का ओवर बर्डन पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा। रामगढ़ जिले में कोयला खनन करने वाली कंपनियां सीसीएल व टिस्को के दर्जनों स्थानों पर ओबी (ओवर वर्डन) है। इसने कचरों के ढेर यानी कृत्रिम पहाड़ का रूप ले रखा है। हालांकि आबादी वाले इलाके में सीसीएल या टिस्को का ओबी नहीं है। भूमिगत खदानों से कोयला निकालने के बाद मिट्टी-पत्थर को वर्षों से ओबी के तौर पर रखा जाता है। आबादी से दूर सीसीएल व टिस्को के खनन क्षेत्र में ओवर वर्डन होने के कारण अभी तक किसी तरह की दुर्घटनाएं नहीं हुई है।
नदी में बहा देते कचरा :
पलामू जिला अंतर्गत पंडवा प्रखंड में ङ्क्षहडाल्को संचालित कोल माइंस है। साइङ्क्षडग एरिया में मलबा का ढेर खड़ा हो जाता है। इसे बाद में कोयला निकाले गए खाली जगहों में भर दिया जाता है। इधर ङ्क्षहडाल्को संचालित रेहला स्थित ग्रासिम इंडस्ट्रीज अपना मलबा का एक हिस्सा लिक्विड बनाकर नदी में बहा दिया जाता है। इससे निचले हिस्से के गांव वालों को परेशानी होती है। पलामू के सतबरवा में पूर्व में संचालित ग्रेफाइट फैक्ट्री के कई संचालकों ने मलबा का ढेर लगाकर छोड़ दिया है।
कोयलांचल में मलबों का ढेर :
धनबाद : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बाघमारा से पीछे कोयला खनन के बाद निकले मलबे यानी ओवरबर्डन का पहाड़ है। केंद्र के अधिकारियों के मना करने के बाद भी बीसीसीएल प्रबंधन ने इसे रोकने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। कई वर्षो से यह ओबी का ढेर यहां है। जोगता थाना क्षेत्र के भदरीचक चार नंबर, भदरीचक तथा फतेहपुर गांव से लगभग एक सौ फीट की दूरी पर ओबी का पहाड़ है। बीसीसीएल के कतरास क्षेत्र अंतर्गत गजलीटांड आउटसोॢसंग पैच में कोयला उत्खनन के दौरान निकले ओबी को वहां डंप किया गया है। यहां किसी तरह की अन्य सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए गये हैं। डंप के पास घनी आबादी का मोहल्ला है। गांव भदरीचक, फतेहपुर को इससे खतरा हो रहा है। जलता ओबी डंप करने के चलते पांच साल पहले दुर्घटना हो चुकी है। उस समय कोयला चुनने के दौरान गर्म ओबी की चपेट में आने से तीन लोग जख्मी हुए थे। झरिया के गोलकडीह, राजापुर, सुदामडीह, बरारी, लोदना, बस्ताकोला इलाकों में ओबी के बड़े पहाड़ हैं। आसपास बस्तियां भी हैं।
सीआइएसएफ की निगरानी में डंपिंग :
बोकारो : बोकारो इस्पात संयंत्र से निकलने वाला औद्योगिक कचरा स्लैग डंप में फेंका जाता है। डंपिंग क्षेत्र लगभग एक किलोमीटर के दायरे में फैला है। निगरानी सीआइएसएफ करती है। यह कचरा सूखा होता है। दूसरा ऐश पौंड है जहां बोकारो पावर सप्लाई कंपनी का गीली राख तलाबनुमा गड्ढे में गिराई जाती है। जब एक पौंड भरता है तो दूसरे में तथा दूसरे को भरने के बाद तीसरे में गिराने और सूखने के बाद अलग-अलग स्थानों पर फेंकने का काम होता है। स्टील प्लांट में कचरा के ढेर से अधिक संयंत्र के अंदर केमिकल एवं गैस संबंधी आपदा की संभावना अधिक होती है।