पत्थलगड़ी के स्वरूप को बिगड़ने से बचाना होगा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं राष्ट्रीय सुरक्षा मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा कि पत्थलगड़ी हमारी परंपरा को बताने का माध्यम था। इसका गलत दुरुपयोग हो रहा है।
जागरण संवाददाता, रांची : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (फैन्स) के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार ने कहा कि हमें पत्थलगड़ी के स्वरूप को बिगड़ने से बचाना होगा। पत्थलगड़ी का समृद्ध इतिहास रहा है। यह हमें पूर्वजों से लेकर समाज, संस्कृति और परंपरा के बारे में जानकारी देने का माध्यम रहा है, लेकिन हाल के दिनों में कुछ लोगों ने इसे समाज में अलगाव पैदा करने का माध्यम बना दिया है, जो दुखद है। जो परंपरा नफरत सिखाती है वह सही नहीं। परंपरा गलत नहीं होती है, बल्कि मानव में विकार आने से वह गलत दिशा की ओर ले जाता है। कुछ विध्वंसकारी लोग पत्थलगड़ी के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। इससे बचना होगा और उसके साजिश को समझना होगा। वे शनिवार को सेंट्रल लाइब्रेरी में फैन्स और रांची विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग की ओर से आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। इसका विषय राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में पत्थलगड़ी और उसके सामाजिक प्रभाव था।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि पत्थलगड़ी शिलालेख का ही एक रूप है। हजारों साल पहले पत्थर पर उस गांव का चरित्र, संपदा व बड़े लोगों का नाम अंकित होता था। हम मिलजुल कर कैसे रहते हैं इसकी जो जानकारी दे उसे ही पत्थलगड़ी कहते थे। इससे पहले अतिथियों का स्वागत पौधा देकर किया गया। मंच संचालन फैंस के राष्ट्रीय सचिव सह प्रभारी झारखंड एवं बिहार व रांची विवि के रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी व धन्यवाद ज्ञापन पीजी जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभागाध्यक्ष डॉ. टीएन साहू ने किया। इस मौके पर दिव्यांशु द्वारा लिखित पुस्तक परंपरा की पत्थलगड़ी बनाम बहकावे का शिलालेख का विमोचन भी हुआ। मौके पर गोलक बिहारी, ¨हदू जागरण मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री सुमन कुमार, डॉ. शाहिद अख्तर, डॉ. प्रीतम कुमार, फैंस उपाध्यक्ष डॉ. संदीप, सीनेट सदस्य अर्जुन राम, डॉ. अजय सिंह, डॉ. जेबी पांडेय, डॉ. हीरानंदन पांडेय, डॉ. सुशील अंकन, डॉ. प्रभात सिंह, डॉ. धीरेंद्र त्रिपाठी सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान सेंट्रल लाइब्रेरी का हॉल विद्यार्थियों से खचाखच भरा था। परंपरा में भी आते हैं विकार
इंद्रेश कुमार ने कहा कि पत्थलगड़ी महान परंपरा है, लेकिन परंपरा में भी विकार आते हैं। इसे समझने की कोशिश करें। असत्य के साथ होने से ¨हसा, विरोध, क्रोध का जन्म होता है जबकि सत्य के साथ से प्यार, शांति, विकास, भाईचारा बढ़ता है। कहा, विविधता हमारी खुशबू है। पत्थलगड़ी के नाम पर कहते हैं कि हम यहां से आगे नहीं जाने देंगे, मतलब हमें ईश्वर, शिक्षा, समाज, विकास से दूर करने की साजिश है। ग्राम सभा जो न्याय का रूप है वह विकास विरोधी, अ¨हसा, अधिनायकवाद नहीं हो सकता है। ग्राम सभा ईश्वर का रूप माना जाता है, ¨हसा का नहीं। हम भटक रहे हैं तो उसे अधिक प्यार देकर सुधारें।
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पत्थलगड़ी परंपरा, गलत दिशा देना ठीक नहीं
समारोह की अध्यक्षता करते हुए रांची विवि के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि पत्थलगड़ी हमारी परंपरा से जुड़ी है। इसे दूसरी दिशा में ले जाना उचित नहीं है। प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार ने कहा कि पत्थलगड़ी पुरखों का नाम जीवित रखने की परंपरा है। ऐसा पूरी दुनिया के आदिवासी समाज में होता है। डॉ. हरि उरांव ने कहा कि हम दिग्भ्रमित न हों, सही चीजों को जानें। गांव जा कर अध्ययन करें विद्यार्थी
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि के कुलपति डॉ. एसएन मुंडा ने कहा कि जनजातीय भाषा विभाग के विद्यार्थी गांव-गांव जा कर वहां की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अध्ययन करें। युवा समय के अनुसार बदलें, लेकिन अपनी सामाजिक समरसता को समझें। पत्थलगड़ी पुरातन संस्कृति है। इसकी जो गलत व्याख्या की जा रही है उसे समझने की जरूरत है। समाज गलत दिशा में जा रहा है तो उसे सुधारने की जरुरत है। बिरसा कॉलेज खूंटी की प्राचार्या नलेन पूर्ति ने कहा कि पत्थलगड़ी मजबूत स्तंभ है। इसमें कुछ गलत हो रहा है तो मिलकर निराकरण करेंगे। अच्छाईयों को ग्रहण करेंगे।
--------------- सम्मानित हुए विद्यार्थी
इस मौके पर टीआरएल विभाग में अच्छे अटेंडेंस व परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए नौ विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। इसमें ममता किंडो, लखन स्वांसी, संध्या सुमन, बसंत महतो, अनुज कुल्लु, राय मुनि, मेधना सोरेन, अनुज उरांव व सृष्टिधर महतो शामिल हैं।