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भारत के पास जम्मू-कश्मीर का मात्र एक तिहाई हिस्सा

रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन (सेवानिवृत्त) आलोक बंसल ने कहा कि भारत के पास जम्मू-कश्मीर का मात्र एक तिहाई हिस्सा ही है। वे रांची चैप्टर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 08:53 PM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 08:55 PM (IST)
भारत के पास जम्मू-कश्मीर का मात्र एक तिहाई हिस्सा

जागरण संवाददाता, रांची : रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन (सेवानिवृत्त) आलोक बंसल ने कहा कि भारत के पास जम्मू-कश्मीर का मात्र एक तिहाई हिस्सा है जबकि बाकि के दो तिहाई हिस्से पाकिस्तान तथा चीन के पास हैं। यह क्षेत्र आज चीन-पाकिस्तान के अधिपत्य में भले ही हैं, लेकिन हमें यहां की तमाम जानकारिया एकत्र करते रहनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के जो इलाके चीन और पाकिस्तान के आधिपत्य में हैं, उसपर न तो चीन और न ही पाकिस्तान के साथ रेखाकन हुआ है। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि क्षेत्रफल की दृष्टि से जम्मू कश्मीर के 78 हजार वर्ग किमी से ज्यादा का क्षेत्र पाकिस्तान के आधिपत्य में है और करीब 37 हजार वर्ग किमी का क्षेत्रफल, जो कि अक्साई चीन घाटी है, वह चीन के आधिपत्य में है। इसके अतिरिक्त शक्सगाम घाटी का 5 हजार 180 वर्ग किमी का क्षेत्रफल पाकिस्तान के आधिपत्य में है। वे रविवार को जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के राची चैप्टर की ओर से आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। डोरंडा स्थित वन सभागार में आयोजित इस व्याख्यान का विषय था, पाकिस्तान-चीन अधिक्रांत लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर (विशेष संदर्भ गिलति-बाल्टिस्तान)। बंसल ने उक्त विषयों पर अपना व्याख्यान देते हुए लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर से जुड़ी कई जानकारिया साझा की। उन्होंने पाकिस्तान अधिकृत जम्मू - कश्मीर के गिलगिट तथा बाल्टिस्तान तथा चीन अधिकृत अक्साई चीन घाटी के संदर्भ में कई जानकारिया पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से लोगों को बताईं। गिलगिट तथा बाल्टिस्तान भारत के लिए जरूरी

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ऐतिहासिक दस्तावेजों के आकड़ों के माध्यम से कैप्टन बंसल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर का क्षेत्रफल दो लाख 22 हजार वर्ग किमी का है, जिसमें आज की तारीख में भारत के नियंत्रण वाले भाग का क्षेत्रफल केवल एक लाख एक हजार 387 वर्ग किमी है। इसमें 59 हजार 146 वर्ग किमी क्षेत्रफल लद्दाख का है। इसी प्रकार 26 हजार 293 वर्ग किमी का जम्मू है और कश्मीर का केवल 15 हजार 948 वर्ग किमी ही हमारे पास है। उन्होंने बताया कि गिलगिट और बाल्टिस्तान क्षेत्र जम्मू कश्मीर का उत्तरी भाग है, जो सियाचिन ग्लैशियर से सटा हुआ है। 1947 में गिलगिट और बाल्टिस्तान के साथ शक्सगाम घाटी पर भी पाकिस्तान ने गैरकानूनी रूप से कब्जा जमा लिया था। गिलगिट और बाल्टिस्तान का यह क्षेत्र भारत को सिल्क रूट से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है।

जम्मू,लेह और लद्दाख के एक हिस्से पर भारत का कब्जा

कहा, जम्मू, लेह और लद्दाख के एक हिस्से पर भारत का अधिकार है। दूसरा हिस्सा मुजफ्फराबाद और मीरपुर का है, जो आजाद कश्मीर कहलाता है और तीसरा हिस्सा गिलगिट बाल्टिस्तान है, जो पाकिस्तान के कब्जे में है। इस तरह भारत के पास जम्मू-कश्मीर का केवल एक-तिहाई हिस्सा ही है। इस व्याख्यान कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण अयोध्या नाथ मिश्र व स्वागत भाषण मनोज कुमार ने दिया। संगठन के राज्य संयोजक तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक वीके सिंह और सचिव इंद्रजीत प्रसाद सिंह ने भी संबोधित किया। रमाकात महतो ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर शहर के सैकड़ों गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।


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