इसी सत्र से नौ भाषाओं की स्वतंत्र तौर पर पढ़ाई
राची विवि के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विकास में प्रफुल्ल जी का अहम योगदान रहा है।
रांची, जासं। राची विवि के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विकास में प्रफुल्ल जी का अहम योगदान रहा है। वैश्रि्वक स्तर पर रांची विवि की पहचान जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग से है। वे शुक्रवार को केंद्रीय पुस्तकालय के शहीद स्मृति सभागार में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग व नागपुरी भाषा परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में प्रफुल्ल जयंती सह सम्मान समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि जनजातीय भाषा विभाग में स्वतंत्र रूप से नौ भाषाओं की पढ़ाई के लिए एचआरडी से सहमति मिल गई है। कोशिश है कि इसी सत्र से सभी नौ भाषाओं के लिए अलग-अलग विभाग हो जाए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. उमेश नंद तिवारी तथा धन्यवाद ज्ञापन शकुंतला मिश्रा ने किया। सहायक प्राध्यापक डॉ. अशोक बड़ाईक ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। मौके पर डॉ. गिरीधारी राम गौंझू, डॉ. राम कुमार, डॉ. खालिक अहमद, डॉ. अनिल कुमार ठाकुर, डॉ. जिंदर सिंह मुंडा, प्रो. बीरेंद्र महतो, डॉ. निरंजन महतो, डॉ. दमयंती सिंकु, वंदना टेटे, डॉ. एमलिन केरकेट्टा, डॉ. प्रभात रंजन तिवारी सहित अन्य थे।
भाषा व संस्कृति ही होती है पहचान : कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नागपुरी भाषा परिषद् के अध्यक्ष डॉ. भुवनेश्वर अनुज ने कहा कि सभी भाषाओं के विकास के लिए एक समान कार्य हो। कुड़माली भाषा परिषद् के अध्यक्ष डॉ. राजाराम महतो ने कहा कि भाषा, संस्कृति किसी भी राज्य व देश की पहचान होती है। विभागाध्यक्ष डॉ. त्रिवेणी नाथ साहू ने कहा कि नागपुरी भाषा में अधिक से अधिक साहित्य की रचना कर इसकी महत्ता को बढ़ाने की जरुरत है। इसके लिए युवा पीढ़ी आगे आएं।
चंद्रदेव व क्षितिज को सम्मान : नागपुरी भाषा साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रफुल्ल कुमार राय सम्मान से चंद्रदेव सिंह और क्षितिज कुमार राय को शॉल, प्रशस्तिपत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। साथ ही युवा लेखक योगेश कुमार महतो की नवीनतम कृति नागपुरी कहानी संग्रह बड़का दोइन और नागपुरी के विवाह गीत का लोकार्पण किया गया।