द्वितीयक कृषि से बढ़ाई जा सकती है किसानों की आमदनी
भारतीय प्राकृतिक रॉल एंव गोंद संस्थान का 98वां स्थापना दिवस सोमवार को मनाया गया।
जासं, रांची/नामकुम: भारतीय प्राकृतिक रॉल एंव गोंद संस्थान का 98वां स्थापना दिवस सोमवार को मनाया गया। प्राकृतिक संस्थान प्रबंधन एवं कृषि-यांत्रिक उपमहानिदेशक डा. सुरेश कुमार चौधरी ने कहा कि लाह, मुधमक्खी पालन, मशरूम, वर्मी कंपोस्ट, मछली पालन सहित गैर पारंपरिक खेती झारखंड जैसे वर्षा पर आधारित में बहुत संभावना है। भारतीय लाह अनुसंधान केंद्र अब द्वितीयक कृषि को बढ़ावा दे रहा है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय वर्षा सींचित क्षेत्र प्राधिकरण के कार्यकारी अधिकारी अशोक दलवई ने कहा कि किसानों की आमदनी को दुगना करने तथा खाद्य एवं प्रसंस्करण में आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए द्वितीयक कृषि पर काम करने की जरूरत है। प्राकृतिक रॉल एंव गोंद के उत्पाद, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धक उत्पादक एंव कौशल विकास में इस संस्थान की भूमिका अहम है। झारखंड जैसे अनुसूचित जनजाति, बहुल क्षेत्र में किसानों को 180 दिन से ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए फसल तीव्रता, प्रति ईकाई उत्पादकता, कृषि अवशेष से गुणवत्तायुक्त उपादनक को बढ़ावा देने की जरूरत है। कार्यक्रम मे विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद बिरसा विश्वविद्यालय के कुलपति डा. ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि दो वर्षो बाद संस्थान 100वीं जयंती से पहले इतनी उपलब्धियां अंकित कर ले कि राज्य एवं देश इस संस्थान पर गौरान्वित महसूस करें। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए लाह के उत्पादन व विपणन कर किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है। भारतीय जैव प्रोद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ. ए पटनायक ने कहा कि जैव प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में प्रयोगशाला में लाह, नैनो टेक्नोलोजी के क्षेत्र में नया आयाम साबित हो सकता है। साथ ही डॉ. राजन चौधरी, डा. जे घोष व डा. निर्मल कुमार द्वारा लिखित प्रसार पुस्तिका वर्तमान परिदृश्य में कृषि मौसम परामर्श सेवाओं की भूमिका का विमोचन भी किया गया। उत्कृष्ट कार्यो के लिए विज्ञानी वर्ग से डा. तमिलारासी, तकनीकि वर्ग से विनोद कुमार एवं बीरेंद्र कुमार, प्रशासनिक वर्ग से कृष्ण मुरारी कुमार और कुशल श्रमिक वर्ग से बैजू उरांव को पुरस्कृत किया गया।