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विधायक दलबदल मामले में सुनवाई की प्रक्रिया पूरी, फैसला सुरक्षित

झाविमो से भाजपा में शामिल छह विधायकों के दलबदल मामले में सुनवाई की प्रक्रिया बुधवार को पूरी हो गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 06:08 AM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 06:08 AM (IST)
विधायक दलबदल मामले में सुनवाई की प्रक्रिया पूरी, फैसला सुरक्षित

रांची । झाविमो से भाजपा में शामिल छह विधायकों के दलबदल मामले में सुनवाई की प्रक्रिया बुधवार को पूरी हो गई। पिछले 46 महीने से स्पीकर कोर्ट में चल रही सुनवाई के अंतिम दिन बुधवार को वादी पक्ष (झाविमो) के अधिवक्ता राजनंदन सहाय ने प्रतिवादी पक्ष (भाजपा) के अधिवक्ता द्वारा पिछली सुनवाई में उठाई गई आपत्तियों का एक-एक कर जवाब दिया।

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बहरहाल स्पीकर कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले में 15 फरवरी 2015 को पहली सुनवाई स्पीकर के कार्यालय कक्ष में बंद केबिन में हुई थी। इसके बाद 25 मार्च 2015 से खुले इजलास में सुनवाई शुरू हुई। भाजपा की ओर से इस मामले में 78 गवाहों की सूची दी गई थी, जिनमें से 57 की गवाही हुई। झाविमो की ओर से कुल आठ गवाहों ने अपनी गवाही इस दौरान दर्ज कराई।

बताते चलें कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद झाविमो के छह विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। झाविमो ने इसे दलबदल का मामला करार देते हुए संबंधित विधायकों की सदस्यता रद करने से संबंधित याचिका स्पीकर कोर्ट में दायर की थी।

इधर, प्रतिवादी पक्ष ने इसे चुनौती देते हुए कहा था कि सिर्फ झाविमो के विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण नहीं की, बल्कि पूरी पार्टी का ही विलय भाजपा में हो गया है। प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील थी कि झाविमो के आठ विधायकों में से छह भाजपा में शामिल हो गए। चूंकि यह आंकड़ा दो तिहाई होता है, ऐसे में विलय को गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता।

प्रतिवादी पक्ष की दलील के जवाब में वादी पक्ष के अधिवक्ता ने दो टूक कहा कि अगर प्रतिवादी पक्ष की ही मानें तो उनका तर्क कहीं नहीं टिकता। ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार चार और दूसरी बार दो विधायकों ने भाजपा की सदस्यता ली।

इस तरह दो तिहाई की बात खारिज हो जाती है। इतना ही नहीं वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि विलय के लिए यह जरूरी है कि इससे संबंधित बैठक पार्टी के अध्यक्ष बुलाए, जिसमें केंद्रीय समिति के सदस्यों की उपस्थिति हो, लेकिन बैठक दल बदलने वाले विधायकों में से एक जानकी प्रसाद यादव ने बुलाई थी। पूरी सुनवाई में प्रतिवादी पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि बैठक में केंद्रीय समिति का कोई सदस्य था।

वादी पक्ष के अधिवक्ता ने इस दौरान गुवाहाटी, हरियाणा, केरल जैसे कई राज्यों के हाई कोर्ट के फैसले को रेखांकित कर अपनी दलील को पुष्ट करने की कोशिश की। अधिवक्ता ने यह भी कहा कि दल बदलने वाले विधायकों में से दो सरकार में मंत्री हैं, जबकि तीन बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष। इससे स्पष्ट होता है कि प्रतिवादी पक्ष भाजपा ने एक साजिश के तहत यह खेल रचा है।


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