अबकी बार सिविल सर्विस परीक्षा में सरकार के ये फैसले आपको पड़ेंगे भारी, विस्तार से जानिए...
Jharkhand News JPSC 2021 JPSC Exam 2021 वैसे पुरुष या महिला अभ्यर्थी जिनके एक से अधिक जीवित पत्नी या पति हैं वे सिविल सेवा परीक्षा में शामिल नहीं होंगे। परीक्षा में एससी एसटी पिछड़ा वर्ग- अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता खत्म कर दी गई है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News, JPSC Civil Services Exam 2021 जेपीएससी ने वर्ष 2017, 2018, 2019 तथा 2020 के लिए एक साथ परीक्षा की घोषणा कर दी है। इसके लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है। विभिन्न सेवाओं में 252 पदों के लिए संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा से बहाली होगी। दो मई को प्रारंभिक परीक्षा और सितंबर के अंतिम सप्ताह से मुख्य परीक्षा संभावित रखी गई है। इसके साथ ही झारखंड लोक सेवा आयोग की संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए कई वर्षों से इंतजार कर रहे हजारों अभ्यर्थियों का इंतजार खत्म हो गया है। हालांकि इस बार परीक्षा में जेपीएससी के कुछ नियम-शर्ते अभ्यर्थियों पर भारी पड़ सकते हैं।
नए नियम के मुताबिक इस परीक्षा में शामिल होने के लिए आवश्यक योग्यता ऑनलाइन आवेदन भरने की अंतिम तिथि अर्थात 15 मार्च 2021 तक स्नातक उत्तीर्ण होना निर्धारित है। इसके अलावा परीक्षा में शामिल होने के लिए अवसर की सीमा की बाध्यता खत्म कर दी गई है। साथ ही वैसे पुरुष या महिला अभ्यर्थी जिनके एक से अधिक जीवित पत्नी या पति हैं वे इस परीक्षा में शामिल होने के लिए पात्र नहीं होंगे। इस बार की संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता खत्म कर दी गई है। ऐसे में जनरल कोटे को कांटे का मुकाबला करना पड़ेगा।
राज्य सरकार के निर्देश पर झारखंड लोक सेवा आयोग ने 252 पदों के लिए होनेवाली इसकी प्रारंभिक परीक्षा के लिए सोमवार को विज्ञापन जारी कर दिया। इसके तहत इस परीक्षा में शामिल होने के लिए 15 फरवरी से 15 मार्च तक ऑनलाइन फार्म भरे जाएंगे।यह संयुक्त सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा एक साथ चार वर्षों वर्ष 2017, वर्ष 2018, वर्ष 2019 तथा वर्ष 2020 तक के लिए होगी। आयोग ने दो मई को प्रारंभिक परीक्षा की संभावित तिथि भी तय की है, जबकि सितंबर माह के चौथे सप्ताह से मुख्य परीक्षा शुरू हो सकती है। यह परीक्षा हाल ही में गठित संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा नियमावली के प्रविधानों के तहत होगी।
महत्वपूर्ण तिथियां
- ऑनलाइन आवेदन भरने की तिथि - 15 फरवरी से 15 मार्च 2021
- ऑनलाइन भरने की अंतिम तिथि : 15 मार्च 2021, रात 11.45 बजे तक
- परीक्षा शुल्क भुगतान करने की अंतिम तिथि : 16 मार्च, रात 11.45 बजे तक
- प्रारंभिक परीक्षा की संभावित तिथि : 2 मई 2021
- मुख्य परीक्षा की संभावित तिथि : सितंबर 2021 का चौथा सप्ताह
इन पदों के लिए होगी परीक्षा
- झारखंड प्रशासनिक सेवा, उप समाहर्ता : 44
- झारखंड पुलिस सेवा, पुलिस उपाधीक्षक : 40
- जिला समादेष्टा : 16
- कारा अधीक्षक : 2
- झारखंड नगरपालिका सेवा (नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी) : 65
- झारखंड शिक्षा सेवा वर्ग (2) : 41
- झारखंड निबंधन सेवा, अवर निबंधक : 10
- सहायक निबंधक : 06
- सामाजिक सुरक्षा सेवा, सहायक निदेशक : 02
- नियोजन पदाधिकारी : 09
- प्रोबेशन पदाधिकारी : 17
कुल : 252
आरक्षण के अनुसार पद
- अनारक्षित : 114
- अनुसूचित जनजाति : 64
- अनुसूचित जाति : 22
- अत्यंत पिछडा वर्ग : 20
- पिछड़ा वर्ग : 13
- आर्थिक रूप से कमजोर : 19
एक अगस्त 2016 से होगी अधिकतम आयु सीमा की गणना
इस परीक्षा में शामिल होनेवाले अभ्यर्थियाें की न्यूनतम आयु सीमा की गणना एक मार्च 2021 तथा अधिकतम आयु सीमा की गणना एक अगस्त 2016 हाेगी। चूंकि यह परीक्षा कई वर्षों बाद हो रही है, इसलिए इसमें अधिकतम आयु सीमा में छूट दी गई है।
न्यूनतम आयु 21 तथा अधिकतम 35 वर्ष
इस परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष तथा अधिकतम आयु 35 वर्ष निर्धारित की गई है। हालांकि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में छूट दी गई है। इसके तहत अत्यंत पिछड़ा वर्ग तथा पिछड़ा वर्ग के लिए अधिकतम आयु की सीमा 37 वर्ष, महिलाओं (सामान्य वर्ग, अत्यंत पिछड़ा एवं पिछड़ा वर्ग) के लिए 38 वर्ष, अनुसूचित जाति व जनजाति (महिला सहित) के लिए 40 वर्ष निर्धारित है। दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु सीमा में अतिरिक्त 10 वर्ष तथा एक्स सर्विस मैन को पांच वर्ष की छूट होगी। एक्स सर्विस मैन को इसका लाभ लेने के लिए न्यूनतम तीन साल की सेवा अनिवार्य होगी।
400 अंकों की होगी प्रारंभिक परीक्षा, नहीं होगी निगेटिव मार्किंग
प्रारंभिक परीक्षा दो पत्रों सामान्य अध्ययन-एक तथा सामान्य अध्ययन-दो की होगी। दोनों पत्रों की परीक्षा में वस्तुनिष्ठ आकार के प्रश्न पूछे जाएंगे। 400 अंकों की इस परीक्षा में निगेटिव मार्किंग नहीं होगी। मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए सूची दोनों पत्रों के प्राप्तांकों से तैयार होगी। कुल पदों के आधार पर 15 गुना अभ्यर्थियों का चयन मुख्य परीक्षा के लिए किया जाएगा।
1050 अंकों की होगी मुख्य परीक्षा, पहला पत्र केवल क्वालिफाइंग
मुख्य परीक्षा 1,050 अंकों की होगी जिसमें 100 अंकों का साक्षात्कार भी शामिल है। छह पत्रों की मुख्य परीक्षा में पहला पत्र मात्र अर्हक प्रकृति का होगा तथा इसके अंक नहीं जुड़ेंगे।
आरक्षित वर्गों के लिए कम किए जा सकेंगे कट ऑफ मार्क्स
संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता खत्म कर दी गई है। दरअसल, पहले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियाें की संख्या कट ऑफ मार्क्स के अनुसार मुख्य परीक्षा के लिए 15 गुना नहीं हो पाती थी, क्योंकि इन श्रेणियों के छात्रों को अंक कम आते हैं। अब कट ऑफ मार्क्स की बाध्यता हटने से अधिक से अधिक छात्र मुख्य परीक्षा के लिए क्वालिफाई करेंगे, क्योंकि उसे उस सीमा तक घटाया जा सकेगा जिससे 15 गुना हो जाए।
हालांकि इन अभ्यर्थियों को भी क्वालिफाइंग मार्क्स अनिवार्य रूप से लाना होगा। मुख्य परीक्षा में शामिल होने हेतु सामान्य वर्ग के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स 40 फीसद, एससी, एसटी के लिए 32 फीसद, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 34 फीसद, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5 फीसद तथा आदिम जनजाति के लिए 30 फीसद निर्धारित है।
छठी जेपीएससी मामले में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में छठी जेपीएससी के अंतिम परिणाम को रद करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने सभी से 17 फरवरी तक लिखित पक्ष अदालत में दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अदालत लगातार सात दिनों से सुनवाई कर रही थी।
गुरुवार को जेपीएससी, राज्य सरकार व चयनित अभ्यर्थियों की ओर से दी गई दलीलों का याचिकाकर्ताओं ने जवाब दिया। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार व विकास कुमार ने अदालत को बताया कि जेपीएससी और राज्य सरकार की यह दलील सही नहीं है कि छठी जेपीएससी के अंतिम परिणाम में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।
विज्ञापन की शर्तों के अनुसार पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) में अभ्यर्थियों को सिर्फ क्वालिफाइंग मार्क्स लाना था और इसे कुल प्राप्तांक में नहीं जोड़ा जाना था, लेकिन जेपीएससी ने इसे कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया है। ऐसा करने से वैसे अभ्यर्थी चयनित हो गए हैं, जिनको दूसरे पेपर में निर्धारित न्यूनतम अंक से कम मार्क्स मिले हैं। ऐसे में अंतिम परिणाम को रद कर देना चाहिए। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।