मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया फैला तो और खतरनाक हो जाएगा कोरोना
रांची राज्य में तेजी से फैल रहे कोविड-19 महामारी के बीच खतरा मलेरिया डेंगू चिकनगुनिया जैसे वेक्टर बॉर्न डिजीज को लेकर भी है। मानसून के आगमन के साथ ही झारखंड में मच्छरजनित ये बीमारियां तेजी से फैलने लगती हैं। इन बीमारियों का संक्रमण होने से किसी मरीज की परेशानी बढ़ सकती है।
रांची : राज्य में तेजी से फैल रहे कोविड-19 महामारी के बीच खतरा मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसे वेक्टर बॉर्न डिजीज को लेकर भी है। मानसून के आगमन के साथ ही झारखंड में मच्छरजनित ये बीमारियां तेजी से फैलने लगती हैं। इन बीमारियों का संक्रमण होने से किसी मरीज की परेशानी बढ़ सकती है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर नगर विकास विभाग, नगर निकायों तथा सभी जिलों को अलर्ट किया है। साथ ही, इससे बचने के लिए आवश्यक एहतियाती कदम उठाने को लेकर गाइडलाइन जारी की है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने नगर विकास विभाग के सचिव को पत्र लिखकर मलेरिया, डेंगू तथा चिकनगुनिया को लेकर चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि मानसून के आगमन से इन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कोविड-19 के साथ इन बीमारियों के सह संक्रमण होने की स्थिति भयावह हो सकती है। स्वास्थ्य सचिव ने यह भी कहा है कि लॉकडाउन में लोगों के घर में ही रहने पर पानी की खपत बढ़ी है। जल जमाव भी हुआ है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ सकता है।
इधर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के निदेशक शैलेश कुमार चौरसिया ने भी सभी निकायों के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारियों तथा विशेष पदाधिकारियों को इसे लेकर अलर्ट किया है। साथ ही, इन बीमारियों से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन का सख्ती से अनुपालन कराने का निर्देश दिया है। इसके तहत सभी क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन के साथ-साथ मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट करने, लार्वानाशी दवा का छिड़काव करने, लार्वा के घनत्व का सर्वेक्षण करने तथा फॉगिंग करने का निर्देश दिया गया है। मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट करने के लिए घर के आसपास कचरों में खाली व टूटे बर्तन में जमा पानी, प्लास्टिक के खुले बोतल, कप, छत पर जल जमाव, टायर आदि को नष्ट करने को कहा गया है। ऐसे प्रजनन स्थल जिन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता, वहां प्रत्येक सप्ताह लार्वानाशी दवा टेमेफॉज, बीटीआइ, डिफ्लोरोबेनजिरोन का छिड़काव किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग तथा निकायों की टीम लार्वा घनत्व का सर्वेक्षण करेगी, ताकि किसी भी क्षेत्र में मच्छरों के बढ़ रहे प्रकोप की सूचना मिल सके। वयस्क मच्छरों के घनत्व में वृद्धि होने अथवा एक भी रोगी मिलने पर वहां अविलंब फॉगिंग की जाएगी। बता दें कि झारखंड में जापानी इंसेफ्लाइटिस के भी केस मिलते रहे हैं। साथ ही, संताल प्रमंडल के चार जिलों में कालाजार का भी प्रकोप रहता है।
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झारखंड में मच्छरजनित बीमारियों की स्थिति :
मलेरिया
वर्ष - केस - मृत्यु
2015 - 1,04,800 - 06
2016 - 1,41,414 - 15
2017 - 94,114 - 00
2018 - 53,798 - 04
2019 - 36,749 - 02
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चिकनगुनिया
वर्ष - केस - मृत्यु
2015 - 21 - 00
2016 - 47 - 00
2017 - 269 - 00
2018 - 3,405 - 00
2019 - 169 - 00
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डेंगू
वर्ष - केस - मृत्यु
2015 - 102 - 00
2016 - 414 - 01
2017 - 710 - 05
2018 - 463 - 01
2019 - 825 - 00
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जापानी इंसेफ्लाइटिस
वर्ष - केस - मृत्यु
2015 - 116 - 08
2016 - 47 - 05
2017 - 29 - 01
2018 - 66 - 00
2019 - 112 - 03
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