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मैंने जंग जीत ली, आप भी कोरोना से डरें नहीं, लड़ें और जीतें

Jharkhand. कोरोना वायरस से ठीक हो चुके पैथलैब ने कहा कि मैं ठीक हो चूका हूं। अब दूसरे की मदद करने को तैयार हूं।

By Edited By: Published: Mon, 11 May 2020 02:11 AM (IST)Updated: Mon, 11 May 2020 02:11 AM (IST)
मैंने जंग जीत ली, आप भी कोरोना से डरें नहीं, लड़ें और जीतें
मैंने जंग जीत ली, आप भी कोरोना से डरें नहीं, लड़ें और जीतें

रांची, [अमन मिश्रा]। पूरा विश्व पिछले दो महीनों से कोरोना बीमारी से जंग लड़ रहा है। कई जान गंवा चुके हैं तो कई ठीक होकर घर पहुंच चुके हैं। ठीक हुए लोगों में रांची में एक ऐसा बहादुर व्यक्ति है जो कोरोना सैनिक बनना चाहता है और दूसरे पीड़ितों की देखभाल करना चाहता है। कोरोना पीड़ितों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि कोरोना से डरें नहीं, लड़े और जीतें। कोरोना का लोगों में सिर्फ खौफ बैठा है। जबकि यह उतना घातक भी नहीं है। कोरोना जैसी महामारी से लोग सिर्फ कुछ जरूरी एहतियात बरतने मात्र से जीत सकते हैं।

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कांटाटोली स्थित नेताजी नगर में रहता है पैथलैब संचालक संजय दरअसल, राची के काटाटोली स्थित नेताजी नगर कॉलोनी के एक पैथलैब संचालक संजय कुमार भुइयां की कोरोना जाच रिपोर्ट बीते 25 अप्रैल को पॉजिटिव आयी थी। जिसके बाद 14 दिनों तक रिम्स के कोविड वार्ड में भर्ती रहा। 14 दिनों के बाद जब उसकी दो बार रिपोर्ट नेगेटिव आयी तब शनिवार को अस्पताल से डिस्चार्ज मिला। उसने बंगाल के किसी पारा मेडिकल कॉलेज से 2004 में डिग्री ली है।

कई सालों से नेताजी नगर में खुद का लैब चलाकर जाच करता है। कोविड वार्ड में भर्ती के दौरान ही मिल चुका है कोरोना सैनिक बनने का मौका संजय कुमार भुइया ने बताया कि करीब एक सप्ताह पहले उसे जिला प्रशासन की ओर से फोन आया था कि क्या वह कोरोना सेंटर में सेवा देने के लिए इच्छुक है। वहा से उसे अपना रिज्यूम भेजकर पारस हॉस्पिटल में बने कोविड वार्ड में ज्वाइन करने की बात कहीं गई थी। उस वक्त संजय ने खुद कोरोना संक्रमित होने की बात बताई तो जिला प्रशासन ने जल्द स्वस्थ होने का मनोबल दिया। संजय अब भी कोविड ड्यूटी के लिए तैयार है। सोमवार को वे खुद जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग में बात करेंगे।

बंगाल जाना था, वहां कोई परेशानी ना हो इसलिए कराया था टेस्ट

पैथलैब संचालक संजय कुमार भुइया ने बताया कि वे बंगाल के सरग्राम के रहने वाले हैं। बीते 25 मार्च को उसके पिता की स्थिति बिगड़ने की सूचना मिली। वे गाव निकल गए। 26 मार्च को पिता का निधन हो गया। सभी काम निपटा के वे 9 अप्रैल को राची पहुंचे। कुछ काम बाकी था इसलिए 25 अप्रैल को दुबारा गाव जाना था। सोचा कि कोरोना टेस्ट करा लिया जाए ताकि गाव में उन्हें कोई संक्रमित ना मान लें। 23 अप्रैल को उन्होंने रिम्स जाकर टेस्ट के लिए अपना सैंपल दिया। 25 को रिपोर्ट आने के बाद संक्रमण की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होने करीब 20 लोगों का जाच अपने लैब में किया था। सभी की कोरोना की जाच की गई। राहत की बात यह थी की सभी की रिपोर्ट निगेटिव आयी।


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