झारखंड में रहते हुए मैंने उपलब्धि हासिल की : बहादुर सिंह
अर्जुन पुरस्कार द्रोणाचार्य पुरस्कार व पद्मश्री से सम्मानित भारतीय टीम एथलेटिक्स के पूर्व कोच बहादुर सिंह की जड़ें झारखंड से जुड़ी हैं।
संजीव रंजन, रांची :
अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार व पद्मश्री से सम्मानित भारतीय टीम के पूर्व कोच बहादुर सिंह की जड़ें झारखंड के जमशेदपुर से जुड़ी हैं। सीनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पहुंचे बहादुर सिंह ने बताया कि 1966 से 2003 तक वे टेल्को से जुड़े थे और अपने खेल की सारी उपलब्धि यहां रहते हुए हासिल की। पूर्व शॉट पुट के खिलाड़ी बहादुर सिंह ने अपने करियर में दो स्वर्ण व एक रजत एशियाई खेलों में जीते। इसके अलावा 1975 में सियोल में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी स्वर्ण जीता। उन्होंने कहा कि तब और अब के झारखंड में काफी बदलाव आया है। हाल के वर्षो में यहां खेल की सुविधाएं बढ़ी हैं। झारखंड के खिलाड़ियों में प्रतिभा पहले भी थी और आज भी है। सिर्फ उन्हें तराशने की आवश्यकता है। जब तक आप बच्चों को खेलों से नहीं जोड़ेंगे तब तक हम बेहतर खिलाड़ी नहीं निकाल सकते।
बहादुर सिंह ने कहा, भारत में चीन की तरह स्कूलों में खेलों को अनिवार्य करना होगा तभी हम बेहतर कर सकेंगे। चीन की तरह ही हमें भी योजनाबद्ध तरीके से खेल के विकास में कार्य करना होगा। उन्होंने कहा केंद्र सरकार खेल को लेकर काफी अच्छे कार्य कर रही है। उसका लाभ भी देखने को मिल रहा है। दोहा में संपन्न विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार हो रहा है। दोहा में भारतीय टीम 48वें स्थान पर रही जबकि पिछली बार 200वें स्थान पर रही थी। उन्होंने कहा भारतीय खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन में सुधार देखने को मिलेगा लेकिन पदक जीतना आसान नहीं होगा। पदक जीतने के लिए हमें और भी मेहनत करना होगा।