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22 वर्ष बाद जोगी बनकर लौटा पति, अपने ही घर में पत्‍नी से मांगा भिक्षा; पढ़ें यह मार्मिक खबर

Garhwa Samachar Jharkhand News जोगी के भेष में पहुंचे उदय साव को देखते ही उसकी पत्नी उसे पहचान गई। पत्नी एवं बच्चों के रोने-बिलखने के बाद भी वह उन्हें छोड़कर चला गया। इस दौरान वहां लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 03:02 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 09:09 PM (IST)
22 वर्ष बाद जोगी बनकर लौटा पति, अपने ही घर में पत्‍नी से मांगा भिक्षा; पढ़ें यह मार्मिक खबर
Garhwa Samachar, Jharkhand News योगी बना उदय साव। जागरण

कांडी (गढ़वा), जासं। झारखंड के गढ़वा से एक मार्मिक खबर सामने आई है। जिले के कांडी प्रखंड के सेमौरा गांव निवासी उदय साव 22 वर्ष पूर्व अपने पैतृक निवास छोड़कर जोगी बन गया था। उसके बाद घर के परिजनों द्वारा कई जगहों पर उदय साव को खोजा गया, परंतु कहीं भी उसका पता नहीं चल सका। काफी दिन बीत जाने के बाद घरवालों को आशंका हुई कि वह जिंदा नहीं है। वह कोई घटना-दुर्घटना में मारा गया होगा। उसका एक लड़का और एक लड़की व पत्नी बेसहारा होकर किसी तरह अपना भरण-पोषण दूसरे लोगों की मदद से कर रहे हैं।

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परंतु 22 वर्ष बीत जाने के बाद रविवार को अचानक उदय साव जोगी के भेष में हाथ में सारंगी लिए हुए अपने पैतृक आवास सेमौरा गांव पहुंचा। यहां छुपा रुस्तम बन कर अपनी पत्नी से भिक्षा लेने के लिए अपने दरवाजे पर जा पहुंचा। यहां वह बाबा गोरखनाथ का भजन गाने लगा। जोगी के भेष में पहुंचे उदय साव को देखते ही उसकी पत्नी उसे पहचान गई और अपने खोए हुए पति को पाने के लिए बिलख-बिलख कर रोने लगी। साथ ही उसे जोगी का रूप छोड़कर अपने घर में रहने के लिए कहने लगी।

परंतु उदय साव अपना बार-बार परिचय छुपाता रहा। इस दौरान घर व गांव के कई सदस्य वहां पहुंचे तो देखा कि यह उदय साव ही है। अंत में उदय साव ने अपना असली परिचय बताया और अपनी पत्नी से भिक्षा देने के लिए आग्रह किया। उसने कहा कि पत्नी की भिक्षा के बिना मुझे सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती है। इसलिए मुझे भिक्षा देकर मुझे अपने कर्तव्य का पालन करने दो। योगी के भेष में बरसों बाद उदय साव के घर आने की सूचना पर कई गांव की लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

सभी लोगों ने चाहा कि जोगी के भेष में पहुंचा उदय अब अपने घर परिवार के साथ ही रहे। परंतु उसने वापस घर में रहने से इन्‍कार कर दिया। यहां तक कि उसने भिक्षाटन के बाद उस गांव से बाहर आकर डिग्री कॉलेज कांडी में शरण लिया। गांव के कई लोग कोशिश कर रहे हैं कि उसे जोगी रूप से मुक्ति दिलाई जाए। इसके लिए बाबा गोरखनाथ के धाम पर यज्ञ व भंडारा कराने के लिए गांव के लोग पैसा एकत्रित करने में जुट गए हैं।


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