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मानव तस्करी के आरोपित मिर्धा परिवार को गांव से बाहर निकाला, घर से बाहर फेंक दिया बोरिया-बिस्‍तर

मानव तस्‍करी का आरोपित राजकिशोर मिर्धा दिल्‍ली ले जाकर लड़कियों को महज पांच हजार रुपये में बेच देता था।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 12:24 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 12:24 PM (IST)
मानव तस्करी के आरोपित मिर्धा परिवार को गांव से बाहर निकाला, घर से बाहर फेंक दिया बोरिया-बिस्‍तर
मानव तस्करी के आरोपित मिर्धा परिवार को गांव से बाहर निकाला, घर से बाहर फेंक दिया बोरिया-बिस्‍तर

रांची, जेएनएन। जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के हटिया की जिस नाबालिग का शव लेकर लापता होने के तीन साल बाद मानव तस्कर उसके घर पहुंचा, वह हटिया का ही निकला। हटिया के नायक मुहल्ले के इस मानव तस्कर राजकिशोर मिर्धा उर्फ बेला का वहां के ग्रामीणों ने बहिष्कार कर दिया है। उसके घर से उसके सभी सामान बाहर फेंक दिए, जिसके बाद से ही पूरा परिवार घर छोड़कर फरार है। अब ग्रामीण उसे गांव से बाहर करने की घोषणा कर चुके हैं।

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ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक हटिया व आसपास के कई गांवों से दर्जनभर लड़कियां मानव तस्करी की शिकार हैं, जो लापता हैं और उनका कोई अता-पता नहीं चल पाया है। ये लड़कियां जगन्नाथपुर के हटिया, नामकुम, तुपुदाना व खूंटी के ओकड़ा, तपकरा, तोरपा, अंगराबाड़ी व कर्रा इलाके की हैं। इनका महानगरों में सौदा हो चुका है, ऐसी आशंका जताई जा रही है कि ये लड़कियां दिल्ली, गुडग़ांव आदि जगहों पर बेची गई हैं।

नामकुम के तुंजू की एक लड़की का दिल्ली के गुडग़ांव में सौदा हुआ है, जिसका कोई अता-पता नहीं है। राजकिशोर मिर्धा व उसकी पत्नी गुडिय़ा सहित गिरोह के अन्य सदस्यों ने कई गांवों में अपना नेटवर्क फैला रखा है। गिरोह के साथियों में हटिया की ही लक्ष्मी देवी के अलावा राजकिशोर के रिश्तेदार भाई नंद किशोर मिर्धा, बबलू तिर्की व छोटू नोनिया आदि शामिल हैं।

तस्करी की शिकार लड़कियां दिल्ली की एक 'मैडम' को की जाती थी हैंड ओवर : मानव तस्करी की शिकार लड़कियों का सौदा दिल्ली में होता था। जेल जाने से पूर्व मानव तस्करी के आरोपित राजकिशोर मिर्धा ने बताया कि वह दिल्ली में स्टेशन के पास ही एक 'मैडम' को लड़कियां हैंडओवर करता था। अपना पैसा लेकर वह लौट जाता था। मैडम कौन हैं और कहां रहती है, यह उसे नहीं पता। उसने बताया कि उसे एक लड़की के एवज में प्रति माह 5000 रुपये मिलते थे, जबकि लड़की को केवल तीन हजार रुपये ही मिलते थे। वह बीच-बीच में दिल्ली जाता रहता था, जहां अपना पैसा लेकर वह वापस रांची लौट आता था।


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