हॉकी के आएंगे अच्छे दिन
रांची खेल विभाग ने हॉकी के विकास के लिए एक रोड मैप तैयार किया है।
संजीव रंजन, रांची
खेल विभाग ने हॉकी के विकास के लिए एक रोड मैप तैयार किया है। अगर उसे मूर्त रूप दे दिया गया तो महिला हॉकी के साथ-साथ पुरुष हॉकी के भी अच्छे दिन जल्द आ जाएंगे। ना तो खिलाड़ियों को किट व मैदान के लिए रोना पड़ेगा और ना ही पैष्टिक आहार के लिए सोचना पड़ेगा। इस रोड मैप बनाने के पीछे विभाग की मंशा प्रदेश के खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में नेशनल टीम तक भेजना है।
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नेशनल टूर्नामेंट से पहले 21 से 45 दिन का कैंप लगाने की योजना
खेल विभाग इस दिशा में अपनी योजना को अमली जामा पहनाना चाहता है। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय लेना बाकी है। योजनानुसार नेशनल टूर्नामेंट के पूर्व खेल विभाग टीमों के लिए 21 से 45 दिनों की तैयारी कैंप आयोजित करेगा। इसमें झारखंड के प्रशिक्षकों के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर दूसरे राज्यों से विशेषज्ञों को बुलाया कर प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
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खाने का मीनू विशेषज्ञ डाइटिशियन करेंगे तैयार
खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए पौष्टिक आहार आवश्यक है। अभी आवासीय सेंटर के खिलाड़ियों को 180 रुपये के हिसाब से खाना दिया जाता है। लेकिन अब विभाग खिलाड़ियों का मीनू विशेषज्ञ डाइटिशियन की देखरेख में तैयार किया जाएगा। इसके तहत खाने की राशि बढ़ाई जा सकती है।
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साल में दो बार दिया जाएगा किट
आवासीय सेंटर व डे बोर्डिंग सेंटर के खिलाड़ियों की सबसे बड़ी समस्या किट रही है। विभाग की नई योजना के तहत साल में दो बार किट व दो हॉकी स्टिक दी जाएगी। इसके अलावा जिस सेंटर में अभ्यास के लिए गोल पोस्ट नहीं है वहां उपलब्ध कराया जाएगा जबकि जहां टूटा है उसका सही तरीके से मरम्मत कराया जाएगा।
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सेंटर के बच्चों का फीडबैक अभिभावकों से लिया जाएगा
डे बोर्डिग सेंटर के बच्चे अभ्यास के बाद क्या करते हैं इसका फीडबैक उनके अभिभावकों से लिया जाएगा। बच्चे सरकार द्वारा मिलने वाले पैसे (सलाना छह हजार) का उपयोग कैसे कर रहे हैं। खेल के प्रति उनका रवैया क्या है। खेल के प्रति उदासीन रहने पर उन्हें बाहर कर नए बच्चों को मौका दिया जाएगा।
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नौकरी मिलने से खिलाड़ी नहीं करेंगे पलायन
विभाग यह मानता है कि जूनियर स्तर पर तो हमारी टीम अच्छी है और बेहतर प्रदर्शन भी करती है लेकिन सीनियर वर्ग में हम पिछड़ जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बेहतर भविष्य को देखते हुए यहां के खिलाड़ी दूसरे राज्य में चले जाते हैं या फिर सेना, सीआरपीएफ में नौकरी कर वहीं से खेलते हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए विभाग ने झारखंड के विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े पदों पर खिलाड़ियों को नियुक्त करने की योजना बनाई है। इस संदर्भ में जल्द ही ऊपर बात की जाएगी, ताकि यहां की प्रतिभाएं राज्य में ही रहे।
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सभी सेंटर को मैदान उपलब्ध कराया जाएगा
डे बोर्डिग सेंटर के पास मैदान नहीं होना भी एक बड़ी समस्या है। विभाग सभी सेंटरों को अभ्यास के लायक मैदान उपलब्ध कराएगा। जहां मैदान है पर समतल नहीं है उसे अभ्यास के लायक बनाया जाएगा।
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ट्रायल में खिलाड़ियों को भेजने की जिम्मेदारी डीएसओ को देने पर विचार
ट्रायल में कई प्रतिभावान खिलाड़ी पैसे के आभाव में भाग नहीं ले पाते हैं। इसलिए जिला खेल पदाधिकारियों को यह जिम्मेदारी देने पर विचार किया जा रहा है कि वे अपने जिले के प्रतिभावान खिलाड़ियों को ट्रायल के लिए भेंजे।
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विभाग ने जो योजना बनाई है और उसे मूर्तरूप दिया गया तो निश्चित रूप से झारखंड हॉकी में और बेहतर प्रदर्शन करेगा। इन योजनाओं को जल्द लागू करना चाहिए।
विजय शंकर सिंह, महासचिव, हॉकी झारखंड
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इन योजनाओं से महिला व पुरुष हॉकी दोनों को लाभ मिलेगा। पुरुष हॉकी जो अभी थोड़ी पिछड़ी हुई है वह भी सही रास्ते पर आ जाएगी। विभाग का यह निर्णय हॉकी को आगे ले जाएगा।
रजनीश कुमार, सीइओ, हॉकी झारखंड