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बाबूलाल मरांडी दल बदल मामला: झारखंड हाईकोर्ट 19 को सुना सकता है बड़ा फैसला...

Babulal Marandi defection case दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष का स्वत संज्ञान लेना और पूर्व सीएम को नोटिस भेजना कानून सम्मत है या नहीं इस पर अब 19 जनवरी को सुनवाई होगी। इसी दिन अदालत तय करेगी कि मामले में आगे सुनवाई करनी है या नहीं।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 08:29 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 06:35 PM (IST)
बाबूलाल मरांडी दल बदल मामला: झारखंड हाईकोर्ट 19 को सुना सकता है बड़ा फैसला...
Babulal Marandi defection case 19 जनवरी को झारखंड हाई कोर्ट तय करेगा सुनवाई करनी है या नहीं।

रांची, जासं। Babulal Marandi defection case दलबदल मामले में विधान सभा अध्यक्ष का स्वत: संज्ञान लेना और पूर्व सीएम को नोटिस भेजना कानून सम्मत है या नहीं इस पर अब 19 जनवरी को सुनवाई होगी। इसी दिन अदालत तय करेगी कि मामले में आगे सुनवाई करनी है या नहीं। दलबदल मामले में सुनवाई हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अदालत में होनी है। इससे पूर्व गुरुवार को दोनों पक्षों की दलीले पूरी हुई। विधान सभा अध्यक्ष ने शपथ पत्र दाखिल कर कहा कि स्वत: संज्ञान मामले में आगे कार्रवाई नहीं करेंगे। वहीं, इस मामले को सिंगल बेंच में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया। इस पर भी उसी दिन सुनवाई होनी है। 

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भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान विधान सभा अध्यक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की। बहस के दौरान कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि अध्यक्ष के स्वत: संज्ञान पर सुनवाई नहीं होगी। बल्कि कुछ विधायकों ने जो शिकायत की है उसपर विधान सभा अध्यक्ष को सुनवाई करना है। ऐसे में विधान सभा अध्यक्ष ने स्वत: संज्ञान लेते हुए बाबू लाल मरांडी को जो नोटिस भेजा था इसपर हाइकोर्ट सुनवाई न करें। 

जबकि बाबूलाल मरांडी की ओर से कहा गया कि विधान सभा अध्यक्ष अभी कह रहे हैं कि स्वत: संज्ञान पर सुनवाई नहीं करेंगे लेकिन बिना किसी शिकायत के उन्होंने सुनवाई की। अभी तक उन्होंने इस कार्रवाही को निरस्त नहीं किया है। केस अभी तक जिंदा है। हाइकोर्ट यह तय करे कि अध्यक्ष को स्वत: संज्ञान लेने का आधिकार है या नहीं।

बाबू लाल मरांडी की ओर से केस की पैरवी करते हुए वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा कि अध्यक्ष ने स्वत: संज्ञान लेते हुए बाबू लाल मरांडी को नोटिस भेजा और प्रतिपक्ष के मामले को पिछले छह-सात माह से लटकाये हुए हैं। यह कार्रवाई कहीं न कहीं दुर्भावना से प्रेरित है। मालूम हो कि विधान सभा अध्यक्ष द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए बाबू लाल मरांडी को नोटिस भेजे जाने को हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए नोटिस को रद करने की मांग की गई थी। हाइकोर्ट ने दलबदल मामले में अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में होनी वाली सुनवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है।


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