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झारखंड कोऑपरेटिव बैंक के सीईओ को हटाना सही निर्णय : हाई कोर्ट

राची झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एके द्विवेदी की अदालत ने गुरुवार को झारखंड कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) विजय कुमार चौधरी की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने सरकार के निर्णय को सही ठहराया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 01:06 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 01:06 AM (IST)
झारखंड कोऑपरेटिव बैंक के सीईओ को हटाना सही निर्णय : हाई कोर्ट

राची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एके द्विवेदी की अदालत ने गुरुवार को झारखंड कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) विजय कुमार चौधरी की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने सरकार के निर्णय को सही ठहराया है। इससे पहले दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया है।

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इससे पहले अधिवक्ता ऋतु कुमार ने अदालत को बताया था कि विजय कुमार चौधरी कोऑपरेटिव बैंक के सीईओ पद की अर्हता रखते हैं और उनकी प्रतिनियुक्ति सही है। सरकार के अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने अदालत को बताया कि प्रार्थी नाबार्ड में एजीएम के पद पर हैं। सरकार ने उन्हें एक वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर झारखंड कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का सीईओ बनाया था। इनकी प्रतिनियुक्ति रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के तहत नहीं थी। सरकार ने मामले की जाच के बाद चार मई 2020 को उन्हें सीईओ पद से हटा दिया था।

-------------- वादी के साथ-साथ जिम्मेदारों पर भी होनी चाहिए कार्रवाई : हाई कोर्ट

राची : झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की ख्ाडपीठ में गुरुवार को गिरिडीह नगर निगम की अपील याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने सुनवाई के बाद निगम की अपील याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में जेई के खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर सकती है, लेकिन उसके साथ-साथ नियुक्ति करने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी। दरअसल, गिरिडीह नगर निगम में जेई के पद कार्यरत सलाही फिरोज को आठ वर्षो की सेवा के बाद बिना विभागीय कार्रवाई के बर्खास्त कर दिया गया। इसी आदेश को इन्होंने एकलपीठ में चुनौती दी। एकल पीठ ने उसके बर्खास्तगी के आदेश को रद करते हुए बहाल करने का निर्देश दिया। साथ ही, विभागीय कार्रवाई करने की छूट भी दी।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मनोज टंडन व नेहा भारद्वाज ने खंडपीठ को बताया कि एकल पीठ के आदेश का अनुपालन कर दिया गया था और बाद में आदेश के खिलाफ अपील की गई है, जो उचित नहीं है। इस पर अदालत ने एकल पीठ के आदेश को सही मानते हुए विभागीय कार्रवाई की छूट दी, लेकिन कहा कि अगर वादी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तो उन्हें नियुक्त करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी।

----------------- आगनबाड़ी नियुक्ति में गड़बड़ी की आरोपित धनबाद की तत्कालीन सीडीपीओ को राहत

राची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एके चौधरी की अदालत में गुरुवार को आगनबाड़ी सेविका नियुक्ति में गड़बड़ी की आरोपित धनबाद की तत्कालीन सीडीपीओ प्रीति रानी को बड़ी राहत मिली है। अदालत ने निचली अदालत में इनके खिलाफ दाखिल अंतिम रिपोर्ट के आधार पर याचिका को निष्पादित कर दिया। दरअसल, पुलिस ने इनके खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं पाते हुए अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी।

दरअसल, वर्ष 2016 में तत्कालीन सीडीपीओ प्रीति रानी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। आरोप था कि इन्होंने आगनबाड़ी सेविका की नियुक्ति में गड़बड़ी की है। उसी साल इन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर अदालत ने प्राथमिकी पर रोक लगा दी थी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मनोज टंडन व नेहा भारद्वाज ने अदालत को बताया कि इस मामले में पुलिस ने निचली अदालत में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जिसमें इन्हें क्लीनचिट दी गई है। इस पर अदालत ने याचिका को निष्पादित कर दिया।

----------- खूंटी में हुए मॉब लिंचिंग के आरोपितों को हाई कोर्ट से मिली जमानत

राची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने गुरुवार को खूंटी जिले के कर्रा में हुई मॉब लिंचिंग के आरोपित परमानंद सिंह और पुष्पराज तिवारी को जमानत प्रदान कर दी है। अदालत ने दोनों की जेल की अवधि को देखते हुए जमानत देने का निर्देश दिया। अदालत ने दोनों को 10-10 हजार रुपये के दो निजी मुचलकों व निचली अदालत में सुनवाई के दौरान सहयोग करने का निर्देश दिया है।

बता दें कि 09 अगस्त 2019 को खूंटी के कर्रा में प्रतिबंधित मास बेचने के कारण कलंतू बारला को भीड़ ने लाठी-डंडे से पीटकर घायल कर दिया था। इलाज के लिए उसे कर्रा प्राथमिक उपचार केंद्र ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले में कर्रा थाने में मामला दर्ज किया गया, जिसमें परमानंद सिंह पुष्पराज और अन्य को आरोपित बनाया गया। पुलिस ने दोनों को 26 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था, तभी से दोनों जेल में बंद थे। खूंटी की निचली अदालत ने ने 22 फरवरी को उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दी थी, उसके बाद इन्होंने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी।

-------------- तीन साइबर अपराधियों को मिली जमानत

राची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने तीन साइबर अपराधियों को जमानत प्रदान की है। अदालत ने सभी को दस-दस हजार रुपये के दो निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया है। इस मामले में तीनों के करीबी रिश्तेदार जमानतदार होंगे। दरअसल, लकिमन अंसारी, कन्हैया कुमार व दीपू दास ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान प्राíथयों की ओर से कहा गया कि जेल की अवधि को देखते हुए इन्हें जमानत मिलनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने जेल की अवधि को देखते हुए इन्हें सशर्त जमानत प्रदान कर दी।

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