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Jharkhand: हाई कोर्ट ने कहा- कांके सीओ पद के योग्य नहीं, हटाएं

Jharkhand झारखंड हाई कोर्ट में जमीन से जुड़े मामले में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर कांके के अंचलाधिकारी दिवाकर सी द्विवेदी को पद के लिए योग्य नहीं बताते हुए उनके काम करने पर रोक लगा दी।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 10:18 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 10:18 PM (IST)
Jharkhand: हाई कोर्ट ने कहा- कांके सीओ पद के योग्य नहीं, हटाएं
अदालत ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर कांके के अंचलाधिकारी के काम करने पर रोक लगा दी।

रांची, राब्यू।  झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में जमीन से जुड़े मामले में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर कांके के अंचलाधिकारी दिवाकर सी द्विवेदी को पद के लिए योग्य नहीं बताते हुए उनके काम करने पर रोक लगा दी। साथ ही अदालत ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए तबादला करने का निर्देश भूमि सुधार एवं राजस्व सचिव को दिया है। अदालत ने पूर्व में सुनवाई के दौरान अंचलाधिकारी को 12 एकड़ जमीन की म्यूटेशन रेंट रसीद की जांच कर और आवेदन के आधार पर आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। लेकिन अंचलाधिकारी ने आवेदन पर बिना सुनवाई किए ही प्रार्थी का आवेदन रद कर दिया।

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इस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि वे इस पद पर काम करने योग्य नहीं है। प्रार्थी के अधिवक्ता जीतेंद्र पसारी ने बताया कि कांके प्रखंड के सुगनू मौजा में 12 एकड़ जमीन की म्यूटेशन रेंट रसीद 1996 तक श्रेय कुमार के पिता के नाम से कट रही थी। लेकिन 1996 में पिता की मृत्यु के बाद 1997 से रसीद कटनी बंद हो गई। उस समय श्रेय कुमार नाबालिग थे। बाद में दो जुलाई 2020 को प्रार्थी श्रेय कुमार ने हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर म्यूटेशन रेंट रसीद बहाल करने का आग्रह किया। जिसके बाद कोर्ट ने एक अक्टूबर 2020 को प्रार्थी को कांके सीओ के समक्ष दोबारा आवेदन देने को कहा।

साथ ही कांके सीओ को इस मामले में सुनवाई कर उचित आदेश पास करने का निर्देश दिया। लेकिन उनकी ओर से प्रार्थी का बिना पक्ष सुने ही आदेश पारित कर दिया गया। इसके खिलाफ कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए याचिकाकर्ता ने छह अक्टूबर 2020 को सीओ के सामने अभ्यावेदन दिया। लेकिन अंचलाधिकारी ने इस अभ्यावेदन पर सुनवाई नहीं की और छह हफ्ते बाद इसे खारिज कर दिया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने कांके सीओ को तीन सितंबर 2021 को अवमानना का नोटिस जारी किया। इस पर सीओ ने 18 अक्टूबर को शो काज का जवाब दिया, लेकिन कोर्ट अंचलाधिकारी के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और शुक्रवार को कांके अंचलाधिकारी दिवाकर सी द्विवेदी का तबादला करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

मेयर का अधिकार कम करने संबंधी याचिका पर तीन दिसंबर को सुनवाई

नगर पालिका के अध्यक्ष और नगर निगम के मेयरों के अधिकारों में कटौती के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस पर सुनवाई के लिए अदालत से विशेष आग्रह किया गया। अदालत इस मामले की सुनवाई के लिए तैयार है और तीन दिसंबर को मामले में सुनवाई की तिथि निर्धारित की है। तीन नवंबर को प्रार्थी संजय कुमार की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि महाधिवक्ता की ओर से की गई गलत व्याख्या को कानून के रूप में मान्यता देते हुए राज्य सरकार ऐसा निर्देश जारी नहीं कर सकती है, जिसमें मेयर के अधिकार को कम किया जा सके।

महाधिवक्ता की ओर से नगरपालिका अधिनियम एवं संविधान में निहित प्रविधानों की अनदेखी एवं गलत व्याख्या की गई है। इस वजह से मेयर का अधिकार नगण्य हो गया है और एजेंडा व बैठक की तिथियों को निर्धारित करने का अधिकार अब मेयर की बजाय नगर आयुक्त अथवा सीईओ को दे दिया गया है। प्रार्थी की ओर से कहा गया है कि महाधिवक्ता का मंतव्य संविधान एवं नगरपालिका अधिनियम के ठीक विपरीत है। इसलिए राज्य सरकार के उक्त आदेश को निरस्त कर देना चाहिए।


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