लालू के करीबी भोला यादव की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट की रोक
भोला यादव ने सीबीआइ अदालत से जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में दायर याचिका की थी।
रांची, ब्यूरो। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी बहादुरपुर के विधायक भोला यादव की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।
जानकारी के मुताबिक, भोला यादव ने सीबीआइ अदालत से जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में दायर याचिका की थी। अदालत ने वारंट पर रोक लगाते हुए 27 अप्रैल तक निचली अदालत में पेश होकर जवाब देने का निर्देश दिया है।
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत द्वारा लालू को सजा सुनाए जाने के खिलाफ भोला यादव ने टिप्पणी की थी। जिस पर उन्हें सीबीआइ अदालत से अवमानना नोटिस जारी किया गया था, पेश नहीं होने पर अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
भोला यादव के इस बयान पर सीबीआइ कोर्ट ने जारी किया था अवमानना नोटिस
लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी बिहार के बहादुरपुर से विधायक भोला यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने शुक्रवार को भोला यादव के खिलाफ गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। चार अप्रैल को सीबीआइ के विशेष कोर्ट ने भोला यादव के खिलाफ अदालती अवमानना का नोटिस जारी किया था। उन्हें 19 अप्रैल को अदालत में हाजिर होकर जवाब देने का आदेश दिया गया था। वह अदालत में हाजिर नहीं हुए। इतना ही नहीं न तो कोई उत्तर दिया, न ही ऊपरी अदालत का कोई स्टे ऑर्डर अदालत में दाखिल किया। सीबीआइ की ओर से अदालत में बताया गया अदालत द्वारा जारी नोटिस को तामील करा दिया गया है।
भोला यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बेहद करीबी व विश्वास पात्र माने जाते हैं। अदालत ने भोला यादव के मीडिया में दिए उस बयान पर संज्ञान लेते हुए नोटिस दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि 'पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर' लालू प्रसाद को सजा सुनाई गई है। अदालत ने उन्हें स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था। साथ ही जारी नोटिस का तामिला कराने के लिए सीबीआइ को निर्देश दिया था।
गौरतलब है कि दुमका कोषागार से अवैध निकासी से जुड़े मामले से लालू प्रसाद को 24 मार्च को अलग-अलग दो धाराओं में 14 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। उस वक्त लालू प्रसाद रांची के रिम्स में भर्ती थे। 28 मार्च को रिम्स से एम्स जाने के दिन भोला यादव ने मीडिया के सवालों पर कहा था कि फैसले में कोर्ट ने कई ऑब्जर्वेशन मनगढंत गढ़े हैं। दुर्भावनाग्रस्त होकर फैसला दिया गया है। भोला यादव द्वारा मीडिया में दिए बयान पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने अवमानना नोटिस जारी किया था।