ऊर्जा संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण की जांच करेगी पांच सदस्यीय कमेटी
हाई कोर्ट ने तीन विशेषज्ञ व दो अधिवक्ताओं की बनाई कमेटी -संयंत्रों का निरीक्षण कर 29 अक्टूब
-हाई कोर्ट ने तीन विशेषज्ञ व दो अधिवक्ताओं की बनाई कमेटी
-संयंत्रों का निरीक्षण कर 29 अक्टूबर तक कमेटी देगी अपनी रिपोर्ट
राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य के ऊर्जा संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण की जाच के लिए पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। कमेटी राज्य के सभी सरकारी और निजी ऊर्जा संयंत्रों का निरीक्षण करेगी। इन प्लांटों में हो रहे प्रदूषण, प्रदूषण रोकने के उपाय और वहां काम करने वाले श्रमिकों के सेहत पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार करेगी।
हाई कोर्ट ने उक्त जांच कमेटी को 29 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इस मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस एके गुप्ता की खंडपीठ ने इस कमेटी का गठन किया।
कमेटी में सेंट्रल फ्यूल रिसर्च सेंटर के निदेशक डा. प्रदीप कुमार सिंह, आइएसएम धनबाद के प्रोफेसर डा. मनीष कुमार जैन, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रो. मनोज कुमार, हाई कोर्ट के अधिवक्ता अतानु बनर्जी और पांडेय नीरज राय को शामिल किया गया है। कमेटी को सभी प्लांटों का निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
कोर्ट ने कहा है कि यदि 29 अक्टूबर तक अंतिम रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकती, तो कमेटी अंतरिम रिपोर्ट भी दाखिल कर सकती है। कोर्ट ने सभी कंपनियों को जाच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया है।
आठ नामों का दिया था प्रस्ताव
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गुरदीप सिंह से हाई कोर्ट ने कमेटी के सदस्यों के नाम मांगे थे। उन्होंने कुल आठ लोगों के नाम दिए थे। न्याय मित्र अभय प्रकाश ने सभी लोगों से संपर्क किया। जिसमें से तीन लोगों ने ही इस काम के प्रति रूचि दिखाई। जिसके बाद इन नामों को सरकार के पास स्वीकृति के भेजा गया। वहां से क्लीयरेंस मिलने के बाद अधिवक्ता अभय प्रकाश ने नामों की सूची हाई कोर्ट को सौंप दी। जिसके बाद कमेटी का गठन कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रही है सुनवाई
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इसमें देश के ऊर्जा संयंत्रों से हो रहे प्रदूषण का मामला उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद सभी राज्यों के हाई कोर्ट को अपने-अपने राज्यों के ऊर्जा संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण पर संज्ञान लेते हुए सुनवाई करने का निर्देश दिया। इसी के आलोक में झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है।
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