Happy Friendship Day 2019: मिसाल है इनकी दोस्ती...एक देख नहीं सकता, दूसरा चल नहीं सकता
दोस्त के लिए गाना गाने को कहा जाए तो सबसे पहले ये दोस्ती हम नहीं तोड़ नहीं सकते ही हमारे दिमाग में आता है। यहां पढ़िए खास दोस्ताें की प्रेरक कहानी।
रांची, [विवेक आर्यन]। दोस्त के लिए गाना गाने को कहा जाए तो सबसे पहले ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे.. याद आता है। और याद आते हैं एक दूसरे के लिए अपनी जान देने वाले जय और वीरू। ऐसी कई फिल्में और कई गाने हैं जो दोस्त और दोस्तों की अहमियत की याद दिलाते हैं। दोस्तों पर मर मिटने की कहानियां केवल फिल्मों की नहीं है। हकीकत में भी ऐसे कई उदाहरण हैं जो दोस्ती की मिसाल कायम करते हैं।
जीवन में जब भी तकलीफ आई और जब सारे रास्ते बंद हो गए तो वे दोस्त थे, जिन्होने बिना किसी शर्त के मदद की। अरुण देख नहीं सकते, सत्यजीत चल नहीं सकते, लेकिन स्कूटी से पूरी रांची घूमते हैं दोस्ती फिल्म तो सबने देखी ही होगी। बस उसी की कहानी समझ लीजिए। पात्र भी वैसे ही, लेकिन यह फिल्म नहीं हकीकत है। दो दोस्त हैं, अरुण और सत्यजीत।
अरुण देख नहीं सकते, सत्यजीत चल नहीं सकते हैं, उन्हें पोलियो है। लेकिन दोनों की दोस्ती ने मंजिल देखा भी है और उसपर चल भी रहे हैं। सत्यजीत चार पहियों वाली स्कूटी चलाते हैं और अरुण पीछे बैठते हैं। जब स्कूटी से उतरते हैं तो सत्यजीत हाथों में चप्पल पहन कर चलते हैं, अरुण उन्हें सहारा देते हैं। व्हील चेयर पर सत्यजीत को बिठा कर अरुण उन्हें जगह-जगह घुमाते भी हैं। रास्ता सत्यजीत बताते हैं।
अरुण बताते हैं कि वे तीन साल से दोस्त हैं। किसी कार्यक्रम के दौरान मुलाकात हुई और दोनों को एक दूसरे का साथ पसंद आया। अरुण धुर्वा में रहते हैं और सत्यजीत डोरंडा से उन्हें लेने जाते हैं। दोनो दिव्यांग होने के बावजूद हर वो काम करते हैं जो आम लोग करते हैं। मसलन डैम के किनारे बैठ कर बातें करना, मॉल जाना, रिंग रोड में घूमना। वे मानते हैं कि एक दूसरे के साथ वे कंप्लीट हैं और एक दूसरे के बिना अधूरे।
तीन सालों से कायम है 29 राज्यों की अनूठी दोस्ती
देश के सभी राज्यों के करीब 350 छात्र एक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े हैं। एनएसएस के नेशनल इंटीग्रेशन कैंप के दौरान इनकी दोस्ती बंगलोर में हुई थी। सात दिनों के कैंप में सभी दोस्त बने, जब जुदा हुए तब वादा किया कि जिदंगी भर दोस्त बने रहेंगे। वही हुआ भी। अलग-अलग राज्य की संस्कृति, भाषा और वहां के त्योहारों के जिक्र से आज भी यह वाट्सएप ग्रुप जिंदा है।
ग्रुप का कोई भी सदस्य किसी भी राज्य में जाता है तो उसका बकायदा स्वागत होता है। उस राज्य का साथी इस बात का ध्यान रखता है कि उसे रहने, खाने की कोई दिक्कत नहीं हो। संभव हो तो उन्हें अपने ही घर में रखते हैं। रांची के गोस्सनर कॉलेज से विवेक, प्रभात, अजय, अनुजा, सुरभि और जमशेदपुर से छाया व शिखा इस ग्रुप के सदस्य हैं।
अनन्या की मां हैं उनकी सबसे अच्छी दोस्त
फिल्म की दुनिया में करियर तलाश रही रांची की अनन्या अपनी मां को सबसे अच्छी दोस्त मानती हैं। वे अपनी मां से हर छोटी बात शेयर करती हैं। दस रुपये खर्च करने से ले कर जिंदगी के बड़े उतार चढ़ाव तक। अनन्या बताती हैं कि कोई नई ड्रेस पहन कर सबसे पहली तस्वीर वे अपनी मां को भेजती हैं। कभी कहीं से रिजेक्शन मिला, या कहीं सेलेक्ट हुई तो इसकी खबर भी सबसे पहले वे अपनी मां को ही देती हैं।
उनकी मां रीता दूबे गृहणी हैं, अनन्या ने अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट पर अपना नाम अनन्या रीता दूबे रखा है। अनन्या ये रिश्ता क्या कहलाता है सीरियल में अभी काम कर रही हैं, और मुंबई में हैं। आज फ्रेंशडशिप डे पर वे अपनी मां के लिए कुछ खास प्लान कर रही हैं।
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