ओड़िशा पर निशाना साधने की तैयारी में तीर-कमान, झारखंड के बाहर भी पांव फैलाएगा झारखंड मुक्ति मोर्चा
सत्ता में आने के बाद क्षेत्रीय पार्टियां संगठन का अन्य राज्यों में विस्तार की हर संभव कोशिश करती है। समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी सरीखे राजनीतिक दल इसका उदाहरण हैं। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इस दिशा में कोशिशें तेज की है।
रांची [प्रदीप सिंह] । सत्ता में आने के बाद क्षेत्रीय पार्टियां संगठन का अन्य राज्यों में विस्तार की हर संभव कोशिश करती है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सरीखे राजनीतिक दल इसका उदाहरण हैं। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इस दिशा में कोशिशें तेज की है। झारखंड के पड़ोसी राज्यों की राजनीतिक गतिविधियों पर न सिर्फ मोर्चा के शीर्ष रणनीतिकारों की नजर रहती है, बल्कि वे चुनाव के दौरान भी सक्रियता दिखाते हैं। बंगाल के हालिया विधानसभा चुनाव के पहले भी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन सीटों पर ध्यान केंद्रित किया था, जहां आदिवासी वोटरों की तादाद है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने चुनावी रैलियों की भी शुरूआत की थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने जब सहयोग मांगा तो उन्होंने निर्णय बदल दिया। बंगाल विधानसभा चुनाव में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभाएं भी की। इससे पूर्व बिहार विधानसभा चुनाव में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रत्याशी उतारे थे। मोर्चा ने इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए ओड़िशा पर ध्यान केंद्रित किया है। ओड़िशा झारखंड से सटा है और सीमावर्ती इलाकों में आदिवासियों की अच्छी तादाद है।
यहां ओड़िशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच मुख्य तौर पर मुकाबला होता है। राजनीतिक संभावनाओं को भांपते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय समिति ने ओड़िशा की नई राज्य कमेटी को मंजूरी दी है। अंजली सोरेन को ओड़िशा राज्य कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। वह मयूरभंज से चुनाव लड़ चुकी हैं और ओड़िशा में झारखंड मुक्ति मोर्चा की बेहतर संभावनाओं को लेकर आशान्वित भी हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय बताते हैं - ओड़िशा का आदिवासी बहुल इलाका सैद्धांतिक तौर पर उस वृहद झारखंड राज्य की परिकल्पना का हिस्सा है, जिसके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन ने लड़ाई लड़ी है। राजनीतिक साजिश के कारण हमें वृहद झारखंड नहीं मिला, लेकिन उन क्षेत्रों की चिंता करना हमारी जिम्मेदारी और जवाबदेही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सदैव उन क्षेत्रों का दौरा करते हैं और ओड़िशा में संगठन की मजबूती हमारे एजेंडे में है। ओड़िशा की पुरानी राज्य कमेटी को भंग कर दिया गया है। नई कमेटी के पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द जिला कमेटियों को गठन कर केंद्रीय समिति को सूचित करें ताकि संगठनात्मक विस्तार हो सके।